Varanasi Weather Update : पश्चिम बंगाल में लो प्रेशर बनने से एक-दो दिन और बारिश की संभावना
बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र तथा इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिमी अग्रसरण के साथ 14 अगस्त और घनीभूत होकर अवदाब क्षेत्र के रूप में परिवर्तित हो जाने की संभावना है। इससे जनपद समेत पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में तेज हवा के झोकों के साथ अच्छी बारिश की संभावना है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : अबकी सावन लगभग पूरी तरह सूखा ही गुजरा, लेकिन भादो का आगाज शानदार रहा। भाद्रपद मास के दूसरे ही दिन शनिवार को दिन भर बादलों की आवाजाही रही और रात को जमकर बारिश हुई। इससे सीजन की कसर एक दिन में ही पूरी हो गई। भले ही लोग सावन में बारिश के लिए तरस गए, लेकिन भादो में अभी एक-दो दिन और झमाझम बारिश संभावना है। कारण यह कि पश्चिम बंगाल में एक लो प्रेशर बना हुआ है।
इस साल बरसात के सीजन में शुक्रवार तक मात्र 137.3 मिमी हुई बारिश हो पाई। शनिवार रात हुई बारिश ने काफी हद तक एक दिन में ही कसर पूरी कर दी। करीब 100 मिमी बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले साल अगस्त में 237 मिमी बारिश हुई थी।
प्रसिद्ध मौसम विज्ञानी प्रो. एसएन पांडेय बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में एक लो प्रेशर बना हुआ है। इससे एक-दो दिन और बारिश की संभावना बनी हुई है। किसानों के लिए उम्मीद की बारिशअबकी बरसात के मौसम में अपेक्षाकृत बारिश नहीं होने के कारण खेती-किसानी भी प्रभावित हुई है। धान की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है। हालांकि अब भी समय-समय पर अगर बारिश होती रहे तो खेती में जान लौट सकती है। भादो के पहले दिन हुई बारिश के कारण किसानों की उम्मीद जगी है।
बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र तथा इसके पश्चिम-उत्तर-पश्चिमी अग्रसरण के साथ 14 अगस्त और घनीभूत होकर अवदाब क्षेत्र के रूप में परिवर्तित हो जाने की संभावना है। इससे जनपद समेत पूर्वांचल के विभिन्न जनपदों में तेज हवा के झोकों के साथ अच्छी बारिश की संभावना है।
राज्य कृषि मौसम केंद्र के प्रभारी अतुल कुमार सिंह ने बताया कि पश्चिमी अग्रसरण के साथ ही आगामी चार-पांच दिनों के दौरान मानसून द्रोणी के अपनी सामान्य अक्षीय स्थिति से दक्षिण में ही अवस्थित रहने के फलस्वरूप वर्षा के वितरण एवं तीव्रता में 15 अगस्त के बाद एक बार पुनः प्रभावी कमी आ जाने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि 29 जुलाई को मानसून द्रोणी के तराई में स्थानांतरित होने के बाद अगस्त माह के पहले हफ्ते के दौरान पूर्वांचल में रुक रुक कर बारिश हुई। वहीं उड़ीसा तट पर बने अवदाब के कारण मानसून द्रोणी के पुनः अपनी सामान्य अक्षीय स्थिति से दक्षिण की ओर मध्य भारत के ऊपर स्थानांतरित हो जाने के कारण अगस्त माह के पहले हफ्ते के बाद व्यापक कमी दर्ज की गई।