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Varanasi Turtle News गंगा को स्वच्छ बनाएगी चंबल के कछुओं की नई पीढ़ी

वाराणसी में गंगा को स्वच्छ बनाने को लेकर एक अच्छी खबर आई। सारनाथ स्थित पुनर्वास केंद्र में बने कृत्रिम तालाब में कछुओं के 711 बच्चे निकले हैं जो कृत्रिम तालाब व आस-पास टहल रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 10:29 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 04:50 PM (IST)
Varanasi Turtle News गंगा को स्वच्छ बनाएगी चंबल के कछुओं की नई पीढ़ी
Varanasi Turtle News गंगा को स्वच्छ बनाएगी चंबल के कछुओं की नई पीढ़ी

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना से बचाव के लिए लगे लॉकडाउन के दौरान गंगा का पानी स्वच्छ हो गया था। यही नहीं हवा भी स्वच्छ हो गई थी। यानी प्रकृति ने उस अवधि में अपने आपको रिचार्ज कर लिया था। हालांकि फिर से प्रदूषण व गंगा में गंदगी बढऩे लगी है। इसी बीच गंगा को स्वच्छ बनाने को लेकर एक अच्छी खबर आई। सारनाथ स्थित पुनर्वास केंद्र में बने कृत्रिम तालाब में कछुओं के 711 बच्चों निकले हैं, जो कृत्रिम तालाब व आसपास टहल रहे हैं। इसके लिए आगरा व इटावा की चंबल नदी के तट से कछुओं के दो हजार अंडे मंगाए थे। इनके बड़े होने पर दो साल बाद इन्हें गंगा में डाला जाएगा।

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कृत्रिम तालाब में नवागंतुक बच्चों के तैरने के लिए काफी समय से इंतजार किया जा रहा था। पिछले सप्ताह कछुए के जन्मे बच्चों ने तालाब में तैरना शुरू कर दिया। ये लोगों के आकर्षण का केंद्र भी बने हैं। वन्य जीव प्रभाग की टीम मार्च में आगरा व इटावा के चंबल नदी के तट से दो हजार अंडे यहां लाई थी। पुनर्वास केंद्र के वन रक्षक निशिकांत की देखरेख में 20 लकड़ी के बॉक्स में हैचङ्क्षरग के लिए ये रखे गए थे। कछुए के बच्चों के लिए कृत्रिम तालाब की सफाई व बालू फैलाने के साथ पुआल के टाट पानी भरकर तैयार किए गए थे। ताकि कछुए के बच्चे अपनी मर्जी से कभी पानी तो कभी सूखे में आकर खेलकूद कर सकें। इन कछुओं में दो प्रजातियां सुंदरी व ढोबोगा हैं। ये सभी मांसाहारी हैं।

गंगा के निर्मलीकरण में मांसाहारी कछुए काफी कारगर

जानकार बताते हैं कि गंगा के निर्मलीकरण में मांसाहारी कछुए काफी कारगर साबित होते हैं। तैयारी की गई कि जब ये बड़े हो जाएंगे, तब यहां गंगा में डाले जाएंगे। वन क्षेत्राधिकारी (वन्य जीव), वाराणसी बृजेश पांडेय का कहना है कि दो हजार कछुए के अंडों में से 711 बच्चे निकले हैं। शेष अंडों में से भी बच्चे निकलेंगे। जन्मे बच्चों की देखभाल के लिए वनकर्मी लगाए गए हैं। तालाब का पानी प्रतिदिन बदला जाएगा। सभी कछुए मांसाहारी हैं। दो साल बाद उन्हें नदी में छोड़ा जाएगा।

तस्करी में पकड़े कछुए के लिए कृत्रिम तालाब का जीर्णोद्धार

तस्करी कर ले जा रहे कछुओं को को अलग रखने के लिए सारनाथ कछुआ पुनर्वास केंद्र में कृत्रिम तालाब का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। यह कार्य करीब चार लाख रुपये की लागत से हो रहा है। इसमें तस्करी से पकड़े गए कछुओं को अलग रखने के साथ ही घायल कछुओं के उपचार की भी व्यवस्था होगी। वन क्षेत्राधिकारी के अनुसार तस्करी में पकड़े गए कछुए बड़े होते हैं। इनमें संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है। यहां पर हैचरिग से जन्मे कछुए के साथ रखने में खतरे की आशंका रहेगी।


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