Varanasi Top News : वाराणसी की प्रमुख खबरें जो 16 मई, सोमवार को दिन भर रहीं सुर्खियों में
Top Varanasi News बनारस शहर की कई खबरों ने सोमवार यानी 16 मई को सुर्खियां बटोरीं जानिए शाम 7 बजे तक की शहर-ए-बनारस की पांच प्रमुख और चर्चित खबरें जो दिन भर चर्चा में बनी रहीं और लोगों की नजरें भी उन खबरों पर रही।
वाराणसी, इंटरनेट डेस्क। बनारस शहर की कई खबरों ने सोमवार यानी 16 मई को चर्चा बटोरी जिनमें ज्ञानवापी मस्जिद में मिला शिवलिंग, टंकी का पानी निकालने पर दिखा शिवलिंग, नंदी जिसका इंतजार कर रहे थे वह बाबा मिल गए, इतिहास के दावों को सर्वे से मिला बल, भगवान बुद्ध और उनके अनुयायियों के लिए बड़ा केंद्र था विंध्य क्षेत्र
आदि प्रमुख खबरें रहीं। जानिए शाम 7 बजे तक की शहर-ए-बनारस की पांच प्रमुख और चर्चित खबरें।
ज्ञानवापी मस्जिद में मिला शिवलिंग, वाराणसी कोर्ट ने जगह को सील करने का दिया आदेश
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान सोमवार को साक्ष्य के तौर पर शिवलिंग मिलने के बाद वादी पक्ष के अधिवक्ताओं की ओर से अदालत में इस बाबत एक प्रार्थना पत्र दिया था, जिसपर शिवलिंग की सुरक्षा को लेकर अदालत ने आदेश जारी किया है। माना जा रहा है कि आदि विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग का असली स्थान ज्ञानवापी ही था। जिसकी ओर काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में मौजूद नंदी का मुख सदियों से विद्यमान है। हिंदू मान्यता के अनुसार नंदी का मुख सदैव शिवलिंग की ओर ही होता है। ऐसे में नंदी की मूर्ति का मुख ज्ञानवापी मस्जिद की ओर होने की वजह से ही हिंदू पक्ष की ओर से मस्जिद के सर्वे की मांग लंबे समय से उठ रही थी।
नंदी विग्रह के सामने 40 फीट की दूरी पर स्थित टंकी का पानी निकालने पर दिखा शिवलिंग
ज्ञानवापी परिसर में एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के अंतिम दिन सोमवार को महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। वादी पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर में बनाई गई टंकी (जिसे तालाब कहा जा रहा) का पानी निकालने पर एक बड़ा शिवलिंग सामने आया है। इसकी सुरक्षा को लेकर चिंतित वादी पक्ष के वकील हरिशंकर जैन कार्यवाही खत्म होते ही कोर्ट पहुंचे। इस मुकदमे की सुनवाई कर रहे सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया कि मस्जिद के अंदर शिवलिंग पाया गया है जो बहुत ही महत्वपूर्ण साक्ष्य है। लिहाजा इसे सील कराया जाए। इस पर तत्काल सुनवाई करते हुए कोर्ट ने संबंधित स्थल को तत्काल प्रभाव से सील करने का जिलाधिकारी को आदेश दे दिया। तत्परता बरतते हुए इसका अनुपालन कर दिया गया।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से लौटे सोहनलाल बोले - 'नंदी जिसका इंतजार कर रहे थे वह बाबा मिल गए'
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सुबह दस बजे तक कुल दो घंटे एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की गई। इसी के साथ तीन दिन तक ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का कार्य पूरा हो गया। इस दौरान सर्वे में शामिल सभी सदस्य ज्ञानवापी परिसर से सर्वे के बाद वापस लौट गए। इस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान वादी पक्ष के सोहनलाल आर्य ने बताया, 'नंदी जिसका इंतजार कर रहे थे वह बाबा मिल गए'। इतिहास कालखंड में जो भी लिखा था वह मिल गया है।
इस दौरान उन्होंने हाथों से शिवलिंग मिलने का इशारा किया तो लोग चौंक गए। इसके बाद शिवलिंग मिलने की चर्चाने जोर पकड़ा। वहीं उन्होंने कहा कि - जिसकी जनता को प्रतीक्षा थी आखिरकार वह बाबा अब मिल गए हैं। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहीं कुछ भी मिलने के दावों से इनकार किया। मगर अदालत में थोड़ी देर बाद ही शिवलिंग मिलने वाली जगह को सील करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया जिसपर अदालत ने आदेश भी दोपहर 12 बजे के बाद जारी कर दिया। वहीं आदेश जारी होते ही संबंधित क्षेत्र को तुरंत ही सील करते हुए लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।
दावों को सर्वे से मिला बल, 15 अक्टूबर 1991 को ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर दायर हुआ था मुकदमा
ज्ञानवापी परिसर में नया मंदिर निर्माण और पूजा-पाठ करने को लेकर 15 अक्टूबर 1991 को सिविल जज (सिडि.) वाराणसी की अदालत में वाद दायर किया गया था। जिसमें विवादित स्थल को स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का अंश बताया गया। ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद 1991 से ही चल रहा है लेकिन 32 साल बाद भी मुकदमे की सुनवाई शुरू नहीं हो सकी है। एक पक्ष द्वारा दावा किया जाता है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद निर्माण किया गया था।
ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे कई फीट ऊंची विशेश्वर का स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग स्थापित है। बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के पास ही ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में गुरुवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से एडवोकेट कमिश्नर को बदलने और ज्ञानवापी के तहखाने की वीडियोग्राफी मामले पर कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। ज्ञानवापी मामले को लेकर विगत काफी समय से कोर्ट में मामला चल रहा है। इस प्रकरण में अब तक क्या-क्या हुआ और कैसे हुआ इस बारे में सिलसिले वार इन बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है।
भगवान बुद्ध और उनके अनुयायियों के लिए 2500 साल पहले साधना का बड़ा केंद्र था विंध्य क्षेत्र
कुशीनगर, लुम्बिनी, बोधगया व सारनाथ के अलावा भगवान बुद्ध का मीरजापुर से भी सीधा जुड़ाव रहा है। आज से लगभग 2500 साल पहले भगवान व उनके अनुयायियों के लिए विंध्य क्षेत्र साधना का केंद्र हुआ करता था। हालांकि उस समय मीरजापुर अस्तित्व में नहीं था। यह क्षेत्र बुद्धकालीन सुम्सुमार गिरि का भग्ग गणराज्य के अंतर्गत आता था जिसमें वर्तमान सोनभद्र का भूभाग भी शामिल था। बुद्ध ने अशांत वातावरण में यहां से भी शांति की ज्योति जलाई और बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार किया।