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Varanasi Municipal Corporation : सदन में पहली बार शोक प्रस्ताव पर स्थगन का विरोध, चर्चा के बाद शोक प्रस्ताव का अनुरोध

Varanasi Municipal Corporation नगर निगम सदन के इतिहास में बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया। शोक प्रस्ताव का भी विरोध किया गया। ऐसा पहली बार हुआ जब शोक प्रस्ताव पर सदन में एक मत नहीं देखने को मिला।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 09:26 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 09:26 PM (IST)
Varanasi Municipal Corporation : सदन में पहली बार शोक प्रस्ताव पर स्थगन का विरोध, चर्चा के बाद शोक प्रस्ताव का अनुरोध
वाराणसी नगर निगम सदन के इतिहास में बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। नगर निगम सदन के इतिहास में बुधवार को एक और अध्याय जुड़ गया। शोक प्रस्ताव का भी विरोध किया गया। ऐसा पहली बार हुआ जब शोक प्रस्ताव पर सदन में एक मत नहीं देखने को मिला। कांग्रेस की ओर से दो पूर्व पार्षदों के शोक प्रस्ताव पर अध्यक्षता कर रहीं महापौर ने सदन को 24 सितंबर तक स्थगित कर दिया।

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खास यह कि सदन की बैठक में सपा एमएलसी शतरुद्र प्रकाश भी पहुंच गए थे। उनको देखते ही चर्चा गरम होने की आशंका जताई जाने लगी थी लेकिन अचानक सदन के माहौल ने यू-टर्न लिया जिसकी जानकारी भाजपा पार्षदों तक नहीं थी। यही वजह है कि शाक प्रस्ताव पर एक मत नहीं होने से विरोध के स्वर उठने लगे। सदन के उप नेता श्याम आसरे मौर्या, सचेतक कुंवर कांत सिंह, पार्षद राजेश यादव चल्लू, चंद्रनाथ मुखर्जी, संजय गुप्ता, पूर्णमासी गुप्ता आदि ने शोक प्रस्ताव को चर्चा के बाद लाने की मांग रखी। राजेश चल्लू ने पूर्व महापौर श्याम मोहन अग्रवाल व उप महापौर गिरीश चंद्र जायसवाल के शोक प्रस्ताव का हवाला दिया। कहा कि जब भाजपा पार्षद उर्वशी जायसवाल ने प्रस्ताव लाया था तक सदन स्थगित नहीं हुआ। परंपरा का निर्वाह करते हुए चर्चा के बाद शोक प्रस्ताव लाया गया। ऐसे ही पूर्व पार्षदों के निर्धन पर भी चर्चा के बाद शोक प्रस्ताव लाया जाना चाहिए जिसके पक्ष में पूरा सदन है लेकिन महापौर ने भाजपा पार्षदों की मांगों को दरकिनार करते हुए सदन स्थगित कर दिया गया। राजेश चल्लू ने कहा कि दलगत संवेदना की अनदेखी करते हुए महापौर का यह निर्णय समझ के परे और तकलीफदेय है।

शतरुद्र प्रकाश को देख बदली फिजा

दोपहर 12 बजे से पहले ही एमएलसी शतरुद्र प्रकाश भी सदन की बैठक में शामिल होने के लिए पहुंच गए। उनको देखते हुए सदन की फिजा बदल गई। भाजपा खेमे में खलबली थी तो विपक्षी खेमे में खुशी की लहर। तभी कांग्रेस पार्षद सीताराम केसरी, उप सभापति नरसिंह दास, श्रीप्रकाश मौर्या की सदन के पीछे बने कक्ष में महापौर के साथ बैठक हुई। कुछ ही मिनटों में बैठक समाप्त हुई और ठीक 12 बजे सदन प्रारंभ हुआ तो जनहित के मुद्दे उठने से पहले ही कांग्रेस पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने शोक प्रस्ताव लाया। इस पर भाजपा पार्षदों ने विरोध करते हुए कहा कि पहले मुद्दों पर चर्चा हो, फिर अंत में शोक प्रस्ताव लाया जाए लेकिन महापौर ने हस्तक्षेप करते हुए सदन स्थगन का फरमान सुनाया।

पहले बनती सहमति, नहीं होता विरोध

अब तक शोक प्रस्ताव पर सदन स्थगित करने के फैसले को लेकर एक-दो दिन पहले ही सहमति बन जाती थी। ऐसा ही पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर हुआ भी था। चार दिन पहले ही भाजपा पार्षदों के साथ सपा व कांग्रेस के पार्षदों ने बैठक कर शोक प्रस्ताव पर सदन स्थगित करने का फैसला कर लिया था जिसका परिणाम रहा कि कोई हो-हल्ला नहीं हुआ।


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