Varanasi: वसंत पंचमी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ का चढ़ेगा तिलक, शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच निभाई जाएगी परंपरा
Shri Kashi Vishwanath Tilak on Vasant Panchami बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के विवाह के विधान वसंत पंचमी पर तिलकोत्सव के साथ शुरू हो जाएंगे। भोर में मंगला आरती के बाद दिन भर तिलकोत्सव से संबंधित लोकाचार एवं रस्में निभाई जाएंगी। सायंकाल को बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ दूल्हा स्वरूप में दर्शन देंगे।
जागरण संवाददाता, वाराणसी: बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के विवाह के अनुष्ठान एवं विधान वसंत पंचमी पर तिलकोत्सव के साथ शुरू हो जाएंगे। पर्व विशेष पर गुरुवार को टेढ़ी नीम स्थित महंत आवास पर बाबा विश्वनाथ के माथे पर तिलक सजेगा। भोर में मंगला आरती के बाद दिन भर तिलकोत्सव से संबंधित लोकाचार एवं रस्में निभाई जाएंगी। इस अवसर पर ब्राह्मणों का समूह चारों वेदों की ऋचाओं को स्वर देगा। बाबा का दुग्धाभिषेक कर उनका विशेष पूजन भी किया जाएगा। उन्हें फलाहार के साथ विजयायुक्त ठंडाई का भोग लगाया जाएगा। महिलाओं के स्वरों में मंगल गीत से सारा घर-आंगन गूंजेगा। इन सब विधि-विधानों के बाद सायंकाल को बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ दूल्हा स्वरूप में दर्शन देंगे।
महाशिवरात्रि पर विवाह और रंगभरी एकादशी पर गौना
लोकमान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिव विवाह संपन्न हुआ था और रंगभरी एकादशी पर बाबा गौरा जी का गौना लाए थे। इससे पहले वसंत पंचमी के शुभ मुहूर्त पर भगवान शिव का तिलकोत्सव किया गया था। काशीवासी इसी परंपरा के अनुसार वसंत पंचमी के दिन तिलक की रस्म निभाते हैं। इसके तहत ही सायंकाल शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरुओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव मनाया जाएगा। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर उद्यमी केशव जालान काशीवासियों की ओर से बाबा का तिलक चढ़ाने जाएंगे।
महंत डा. कुलपति तिवारी ने बताया कि वसंत पंचमी की शाम बाबा की पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलक शृंगार किया जाएगा। भोर में चार बजे ही मंगला आरती से आयोजन की शुरुआत हो जाएगी। दोपहर में भोग आरती के बाद बाबा की रजत प्रतिमा का विशेष राजसी शृंगार होगा और शाम पांच बजे से श्रद्धालुओं को दर्शन प्राप्त होगा। सायं सात बजे ही लग्नानुसार बाबा का तिलक सजाया जाएगा।
बाबा पहनेंगे खादी के परिधान
डा. कुलपति तिवारी ने कहा कि महादेव के तिलक की कथा राजा दक्षप्रजापति से जुड़ी है। शिवमहापुराण, ब्रह्मवैवर्तपुराण और स्कंदपुराण में अलग-अलग कथा संदर्भों में महादेव के तिलकोत्सव का प्रसंग वर्णित है। दक्षप्रजापति ने उस समय के कई मित्र राजा-महाराजाओं के साथ कैलाश पर जाकर भगवान शिव का तिलक किया था। उसी आधार पर इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है। काशी में इस वर्ष इस परंपरा के निर्वहन का 358वां वर्ष है। इस अवसर पर सायंकाल 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे जिसमें पूर्वांचल के कई जाने माने कलाकार शामिल होंगे।
इस वर्ष वसंत पंचमी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन ही पड़ रही है और भारत वर्ष का अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा है। अतः इस पूरे आयोजन में आजादी के अमृत महोत्सव का रंग भी नजर आएगा। तिलकोत्सव के इस शुभ अवसर पर दूल्हा बने भोले शंकर खादी के बने विशेष परिधान पहनेंगे।