Varanasi Gyanvapi Mosque Survey Report : ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबद के नीचे शिखरनुमा आकृति, हिंदू धर्म से जुड़े मिले कई चिह्न
ज्ञानवापी मस्जिद के तीनों गुंबदों के नीचे शिखरनुमा आकृति पाई गई है। मस्जिद के बाहर से दिखने वाले गुंबद इन शिखरों के ऊपर बनाए गए हैं। इस तथ्य का उल्लेख विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने 14 से 16 मई तक परिसर में कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट में किया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : Gyanvapi Mosque Survey Report ज्ञानवापी मस्जिद के तीनों गुंबदों के नीचे शिखरनुमा आकृति पाई गई है। मस्जिद के बाहर से दिखने वाले गुंबद इन शिखरों के ऊपर बनाए गए हैं। इस तथ्य का उल्लेख विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने 14 से 16 मई तक ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कमीशन कार्यवाही की रिपोर्ट में किया है। उन्होंने गुरुवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में आठ पेज की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके साथ परिसर के तीन नए मानचित्र और दो पुराने मानचित्र भी शामिल किए गए हैं। तीन सील बंद बाक्सों में साक्ष्य से जुड़े फोटोग्राफ व वीडियो अदालत मे दिए गए। रिपोर्ट में जगह -जगह हिंदू धर्म से जुड़े चिह्न मिलने का उल्लेख है। रिपोर्ट में मस्जिद के तीनों गुंबद के बारे में उल्लेख है। बताया गया है कि इनकी आकृति अंदर से शंकुकार शिखरनुमा है। वादी पक्ष इसे प्राचीन मंदिर के ऊपर का शिखर बता रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर दिशा में स्थित गुंबद में अंदर से ऊपरी गुबंद के साढ़े आठ फुट नीचे शंकुकार शिखरनुमा आकृति है। इसकी ऊंचाई 2.5 फुट तक है। व्यास लगभग 18 फुट है। बाहरी गुंबद की दीवार की मोटाई 2.5 फुटी है। गुंबद के अंदर 3 फुट चौड़ा रास्ता गोलाकार अंदर के शिखर के चारो तरफ है। मस्जिद के बाहर से दिखने वाले उत्तरी गुबंद के भीतर शंकुकार शिखर नुमा स्ट्रक्चकर है।
मुख्य गुबंद के नीचे एक अन्य शंकुकार शिखर नुमा स्ट्रचर कायम है। उसी के ऊपर मस्जिद का बाहर से दिखने वाला गुबंद बनाया गया है।
दक्षिण दिशा में स्थित तीसरा गुंबद में लगभग 21 फुट व्यास का शिखरनुमा शंकुकार स्ट्रक्चर है। पत्थर पर फूल, पत्ती कमल के फूल की कलाकृति मिली। वादी पक्ष इसे प्राचीन मंदिर के ऊपर का शिखर बता रहा है।
एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दूसरे चरण में 16 मई को वजूखाने का निरीक्षण किया गया। वादी पक्ष की ओर से यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है। एडवोकेट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि
मस्जिद क्षेत्र की पूर्व दिशा में स्थित वजूखाना लोहे की जाली में तीन तरफ से बंद है। इसके कुण्ड की नंदी से दूरी 83 फीट 3 इंच है। इसमें काली गोलाकार पत्थनुमा आकृति जिसकी ऊंचाई 2.5 फीट है। इसके टाप पर नौ गुणे नौ इंच का थोड़ा कम गोल कटा हुआ गोलाकार डिजाइन का अलग सफेद पत्थर है। इस गोलाकार आकृति की नाप की गई तो बेस का व्यास लगभग चार फुट है। रिपोर्ट में लिखा है कि यह सामान्य रूप से बड़े शिवलिंग का जो आकार होता है वैसा ही इसका आकार प्रतीत होता है। प्रतिवादी इसे फव्वारा बता रहे हैं। एडवोकेट कमिश्नर ने अंजुमन इंतजामिया के मुंशी ऐजाज मोहम्मद से पूछा कि यह फव्वारा कब से बंद है तो बोले- काफी समय से बंद है। फिर उन्होंने कहा कि 20 वर्ष से बन्द है, फिर कहा कि 12 वर्ष से बन्द है। फव्वारा चालू करने में भी उन्होंने असमर्थता जताई। इसके बीच में आधे इंच का छेद है। उसमें सींक डालने पर 63 सेमी गहरा पाया गया। इसके अलावा कोई छेद किसी भी तरफ में नहीं मिला। फव्वारा के लिए कोई पाइप घुसाने का स्थान भी नहीं मिला है। वजू का तालाब 33x33 फुट का है। तहखाने की दीवार पर जमीन से तीन फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार के फूल की छह आकृतियां बनी थीं।
तहखाने में जगह-जगह मौजूद हैं घंटी, कलश के चिह्न
कमीशन की कार्यवाही के दूसरे चरण में 14 मई को सर्वे की कार्यवाही तहखान से शुरू हूई। तहखाने के अंदर चार दरवाजे थे जिन्हें नई ईंट लगाकर बंद किया गया था। यहीं चार-चार पुराने खंभे हैं इन पर चारों ओर घंटी, कलश, फूल की आकृतियां बनी हुई हैं। एक खंभे पर प्राचीन भाषा में चार लाइनें लिखी हैं जिन्हें पढ़ा नहीं जा सका। जिसे व्यास जी का कमरा कहा जाता है वह ठीक नंदी के सामने हैं।
यहां 18 फुट की दूरी पर एक खुला रास्ता मिला। इस पर दरवाजा नहीं था। रास्ते के ऊपरी चौखट पर कलाकृति बनी हुई है। इसमें घंटी खुदी लग रही है। इसमें चार पत्थर के पुराने खंभे हैं। दूसरे खंभे पर त्रिशुल के चिह्न हैं। दीवार पर स्वास्तिक का निशान है। कमल के तीन फूल भी मिले। नक्कासी भी है जिसके ऊपर स्वास्तिक का चिह्न मौजूद है। कलशफूल की आकृति खंभे के चारो तरफ मौजूद है। काफी संख्या में कमल के फूल की कलाकृति पत्थरों पर खुदी हुई है। कमल की पंखुड़ी पर स्वास्तिक का चिह्न है।
तहखाने में एक तरफ चार दरवाजे के स्थान को नई ईंट से बंद किया गया है। एक अन्य कमर में नयी चूने की पुताई की गयी लगती है। चौथे कमरे में भी नया-चूना पेंट किया गया है। यहां बिना दरवाजे का छोटा तहखाना भी मिला। इसके बाहर मलबा होने की वजह से इसमें दाखिल नहीं हुआ जा सकता था। विवादित स्थल के पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूड़ की टूटी हुई कलाकृति और दीवार पर स्वास्तिक और त्रिशूल व पान के चिह्न हैं। कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती हैं।
मस्जिद में भी नजर आ रहे त्रिशूल
विवादित परिसर में बड़ा खंभा या बड़ी मिनार कहे जाने वाले स्थान पर बड़ी मीनार के नीचे बनी सीढ़ी के बगल में कुछ खुदा है। वादी पक्ष इसे मंत्र जबकि प्रतिवादी दीवार पर बरी ( सुरबी ) व चूना का लेप बता रहे हैं। इसे भाषा विशेषज्ञ से जांच कराने की बात रिपोर्ट में कही गयी है। मस्जिद के अन्दर की दीवार पर स्वीच बोर्ड के नीचे त्रिशूल की आकृति पत्थर पर खुदी है। बगल में आलमारी में जिसे मुस्लिम पक्ष ताखा कहते हैं स्वास्तिक की आकृति खुदी है। मस्जिद के अन्दर पश्चिमी दीवार में हाथी के सूड़नूमा आकृति का चिन्ह है। मस्जिद की दरी को हटाने पर चुनार पत्थर की दो गुणे दो फुट आकार के पत्थर लगी जमीन मिली।
मस्जिद के स्टोर रूम के बाहर की दीवाल पर भी स्वास्तिक के निशान
इसे ठोकने पर वह जगह पोली प्रतीत हुई। ऐसा एहसास हो रहा था कि ये पत्थर मलवे आदि के ऊपर बिठाए गए हैं। चारों कोने में मध्य के मिलने पर बना हुआ मंडप जो तीन फुट ऊंचा हैं। चारों दिशा में कायम है जिसमें मन्दिरों में पायी जाने वाली कलाकृतियां बनी हैं जिनकी संख्या आठ है। वादी इसे देव विग्रह ( मूर्ति ) रखने के स्थान बता रहे हैं। मुख्य गुम्बद के नीचे दक्षिणी खम्भे पर स्वास्तिक का चिन्ह मिला।
मुख्य गुम्बद के प्रवेश द्वार से घुसते ही मस्जिद के इमाम के बैठने की जगह पर बनी कलाकृति को मन्दिरों में पायी जाने वाली कलाकृति जैसी है। यहीं त्रिशूल के खुदे हुए चिन्ह हैं। मस्जिद के प्रथम गेट के पास तीन डमरू के बने हुए चिन्ह हैं। प्रवेश द्वार से आगे दीवार पर लगभग 20 फीट ऊपर त्रिशूल के बने हुए निशान हैं। उसके आगे भी ऐसे ही निशान हैं। मुख्य गुम्बद के दाहिने तरफ ताखा में त्रिशूल खुदा हुआ मिला। मस्जिद के स्टोर रूम के बाहर की दीवाल पर भी स्वास्तिक के निशान हैं।