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Varanasi Gyanvapi Mosque Survey Report : पुराने नक्शे से मेल खाता है मस्जिद परिसर, सत्यता की जांच इतिहासकार से कराने की मांग

Gyanvapi Mosque Survey Report एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान वादी के अधिवक्ता हरिशंकर जैन विष्णु शंकर जैन व सुधीर त्रिपाठी ने प्रोफेसर अल्तेकर की किताब हिस्ट्री आफ बनारस और जेम्स प्रिंसेप की किताब व्यू आफ बनारस का जिक्र किया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 09:32 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 10:57 PM (IST)
Varanasi Gyanvapi Mosque Survey Report : पुराने नक्शे से मेल खाता है मस्जिद परिसर, सत्यता की जांच इतिहासकार से कराने की मांग
पुराने नक्शे से मेल खाता है मस्जिद परिसर

जागरण संवाददाता, वाराणसी : Gyanvapi Mosque Survey Report एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान वादी के अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन व सुधीर त्रिपाठी ने प्रोफेसर अल्तेकर की किताब हिस्ट्री आफ बनारस और जेम्स प्रिंसेप की किताब व्यू आफ बनारस का जिक्र किया। उसमें छपे पुराने आदि विश्वशेश्वर मंदिर के ग्राउंड प्लान से पूरी तरह मिलता हुआ नक्शा जो दोनों किताबों में दर्शाया गया है की फोटो कापी दी गई।

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बताया गया है कि मुख्य गुंबद के नीचे चारों दिशाओं में दीवारों के जिग-जैग कट बने हैं। जो उतनी ही संख्या में है व आकार में है , जैसा किताब के नक्शे में है। इसी तरह से दो दिशा उत्तर व दक्षिण के गुंबदों के नीचे नमाज अदा करने के स्थल की दीवारों के जिग-जैग कट की शेप व संख्या भी उस नक्शे से मिलती है। इन्हीं में कुछ मूल मंडप भी स्थित हैं। मस्जिद के मध्य नमाज हाल व उत्तर व दक्षिण के हाल के मध्य जो दरवाजानुमा आर्क बना है उसकी लंबाई-चौड़ाई भी नक्शे के अनुरूप है। मस्जिद की छत पर बाहरी गुंबदों के अंदर त्रिशंकु शिखरनुमा आकृतियां इन्ही जिग-जैग दीवारो व खंभों के ऊपर टिकी है। फोटोकापी नक्शे से दीवारों के आकार का मिलान करने पर पाया गया कि दोनों में पूरी समानता है। हालांकि इन तथ्यों की सत्यता की जांच के लिए किसी ख्यातिप्राप्त इतिहासकार द्वारा करा किए जाने की बात रिपोर्ट में कही गई है।

लोकल कोर्ट से न्याय की आस नहीं, सुप्रीम कोर्ट पर है भरोसा

ज्ञानवापी मस्जिद, मंदिर तोड़ कर नहीं बनाई गई है। इसकी मौजूदगी औरंगजेब से पहले से रही है। इस पर विवाद खड़ा किया जाना निराधार है। स्थानीय अदालत जितनी तेजी से बिना हमारे पक्ष को समय दिए और बिना सुने आर्डर पर आर्डर पास कर रही है, उससे हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है, लेकिन देश की सर्वोच्च न्यायालय पर पूरा भरोसा है। एडवोकेट कमिश्नर की पहली रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। दूसरी रिपोर्ट की कापी अभी हमें मिली नहीं है, इसलिए उस पर कुछ नहीं कहेंगे।

एमएस यासीन, संयुक्त सचिव, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद

रिपोर्ट पढ़ी ही नहीं, अभी कोई टिप्पणी नहीं करूंगा

स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर की ओर से दाखिल की गई रिपोर्ट की कापी मुझे नहीं मिली है। उसमें क्या लिखा है, मुझे इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। रिपोर्ट अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील पढ़ेंगे। रिपोर्ट में क्या है, यह जानने के बाद ही मैं कोई टिप्पणी कर पाऊंगा।

अब्दुल बातिन नोमानी, मुफ्ती-ए-शहर एवं सचिव, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी


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