Varanasi Gyanvapi Masjid Case : ज्ञानवापी-शृंगार गौरी मामले में कोर्ट में अपनी-अपनी दलीलों पर जोर देते रहे वादी और प्रतिवादी
ज्ञानवापी-शृंगार गौरी से जुड़े तीन प्रार्थना पत्र मंगलवार को अदालत के समक्ष थे। लंच के बाद दो बजे इस पर सुनवाई शुरू हुई। तय समय पर वादी व प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अदालत कक्ष में दाखिल हो गए। वाद दाखिल करने वाली महिलाएं पहले से ही वहां मौजूद थी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : ज्ञानवापी-शृंगार गौरी से जुड़े तीन प्रार्थना पत्र मंगलवार को अदालत के समक्ष थे। लंच के बाद दो बजे इस पर सुनवाई शुरू हुई। तय समय पर वादी व प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता अदालत कक्ष में दाखिल हो गए। वाद दाखिल करने वाली महिलाएं पहले से ही वहां मौजूद थी। चंद मिनटों में कार्यवाही शुरू हुई।
सबसे पहले जिला शासकीय अधिवक्ता महेन्द्र प्रसाद पांडेय ने अपनी बात रखी। अपने प्रार्थना पत्र पर मानवीय आधार पर फैसला करने की गुहार लगायी। मुस्लिम पक्ष के अभयनाथ यादव और मुमताज अहमद ने इस पर कठोर आपत्ति करते हुए कहा कि मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गयी है। शासकीय अधिवक्ता ने उन्हें प्रार्थना पत्र देखने को कहना तो उन्होंने साफ इनकार करते हुए उसकी कापी मांगी।
थोड़ी ही देर में उन्हें काफी दे दी गयी। इसके तुरंत बाद वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने अपने प्रार्थना पत्र पर चर्चा शुरू कर दी। दलील देते हुए कहा कि एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान कुछ जगहों की स्थित स्पष्ट नहीं हो सकी है। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने एक बार फिर अपनी आपत्ति जाहिर की। कहा कि जब तक रिपोर्ट दाखिल ना हो जाए तो तब तक यह कैसे तय होगा कि कितने क्षेत्र का सर्वे हुआ है।
इस पर सुधीर त्रिपाठी ने अपनी बात को रखा। कहा कि कमिशन की कार्यवाही ठीक ढंग से पूरी ही कहां हुई है। तहखाने में मौजूद मलबे और दीवारों को हटाया ही नहीं गया। इस पर न्यायाधीश ने विशेष एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह का पक्ष जानना चाहा। तो उन्होंने बताया कि मुझे सिर्फ परिसर की वीडियो व फोटोग्राफी का आदेश प्राप्त था। सर्वे निष्पक्ष हो इसलिए मैंने किसी भी अतिरिक्त गतिविधि की अनुमति नहीं दी। इसके बाद वादी पक्ष व प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं के बीच तीखी बहस हुई।
वादी पक्ष फिर से एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की दलील दे रहा था तो प्रतिवादी पक्ष रिपोर्ट दाखिल करने पर जोर देता रहा। लगभग आधे घंटे तक तीनों प्रार्थना पत्र पर पक्षकारों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया। इसके बाद कोर्ट से बाहर हो गए।