ज्ञानवापी मामले की सुनवाई के लिए निगरानी याचिका मंजूर, 12 नवंबर को होगी सुनवाई
वाराणसी ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका को सुनवाई के लिए जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत ने स्वीकार कर लिया है। बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका की ग्राह्यता को लेकर 20 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी।
वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका को सुनवाई के लिए जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत ने स्वीकार कर लिया है। बोर्ड की ओर से दाखिल निगरानी याचिका की ग्राह्यता को लेकर 20 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। पक्षकारों की बहस सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिला जज ने अपने फैसले में निगरानी याचिका को सुनवाई योग्य माना तथा इस पर अग्रिम सुनवाई के लिए 12 नवंबर की तिथि मुकर्रर कर दी। उसी दिन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर भी सुनवाई होगी।
बता दें कि वर्ष 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिृृलग भगवान विश्वेश्वरनाथ तथा अन्य पक्षकारों ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण तथा हिंदुओं को पूजा पाठ करने के अधिकार देने को लेकर मुकदमा दायर किया था। इस मामले में वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने ज्ञानवापी परिसर तथा कथित विवादित स्थल का भौतिक एवं पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय सर्वेक्षण विभाग से रडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अदालत से अपील की थी। वादमित्र की इस अपील पर सुनवाई अभी लंबित है। इस दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के क्षेत्राधिकार को चुनौती दी गई। सिविल जज ने पक्षकारों की बहस सुनने तथा नजीरों के अवलोकन के पश्चात 25 फरवरी 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड तथा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की चुनौती को खारिज कर दिया था। सिविल जज के इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से एक जुलाई तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से 18 सितंबर को जिला जज की अदालत में निगरानी याचिका दायर की गई। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका सुनवाई के लिए पहले ही स्वीकृत हो चुकी थी। निगरानी याचिका की ग्राह्यता पर जिला जज की अदालत में सुनवाई के दौरान सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से दलील दी गई थी कि सिविल जज का आदेश अंतिम आदेश है। इस आदेश से मेरा अधिकार प्रभावित होता है। उसी आदेश से प्रभावित अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की याचिका ग्राह्य की जा चुकी है। ऐसे में हमारी निगरानी याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली जाए। उधर, प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिृृलग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र ने इस पर आपत्ति जताई थी।