Varanasi Gyanvapi Case : स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के प्रार्थना पत्र पर अब 27 अगस्त को होगी अगली सुनवाई, डीएम व कमिश्नर को नोटिस तामील
वाराणसी ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा-भोग आरती करने के लेकर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर 27 अगस्त को सुनवाई होगी। अदालत में सुनवाई के दौरान वादी पक्ष की ओर से मामले की त्वरित सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था।
वाराणसी, जागरण संवाददाता : सिविल जज सीनियर डिवीजन कुमुद लता त्रिपाठी की अदालत में सोमवार को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा-भोग आरती करने को लेकर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की अर्जी पर सुनवाई टल गई। वादी के अधिवक्ता ने बताया कि पक्षकार डीएम और कमिश्नर को वाद में अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस तामील हो गई। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 27 अगस्त की तिथि तय की है।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व रामसजीवन ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार त्रिपाठी , रमेश उपाध्याय व चंद्रशेखर सेठ के माध्यम से अदालत में अर्जी दी थी। प्रार्थना पत्र में कहा गया की शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश पर हुई कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में मिली शिवलिंग आकृति का विधिवत राजभोग, पूजन व आरती जिला प्रशासन की ओर से विधिवत करना चाहिए था लेकिन अभी तक प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है।
न किसी अन्य सनातनी धर्म से जुड़े व्यक्ति को इस संबंध में नियुक्त किया। उन्होंने बताया कि कानूनन देवता की परस्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है, जिसे अन्न-जल आदि नहीं देना दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। पूजा पाठ की मांग की गई है। इस मामले में एक प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की वाद में उपस्तिथि हो चुकी है। प्रतिवादी एक डीएम और दो कमिश्नर को इस मुकदमे में अपना पक्ष रखने के लिए पिछले तिथि पर नोटिस जारी किया गया था।
पिछली बार भी प्रतिवादी पक्ष की ओर से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ही उपस्थित रही है। अन्य प्रतिवादी पुलिस व प्रशासन की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ था। इस पर अदालत ने अन्य प्रतिवादियों को भी उपस्थित होने के लिए नोटिस पर पैरवी करने निर्देश दिया था। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि आठ अगस्त तय की गई थी।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद व रामसजीवन ने अपने वकील के माध्यम से अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान भी आरती-पूजन की अनुमति के साथ वहां पर अन्य मुस्लिम पक्ष को परिसर में जाने पर रोक लगाने की मांग की है।