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वाराणसी में फ्लाईओवर हादसे को लेकर सेतु निगम व वाराणसी प्रशासन अब आमने-सामने

वाराणसी में मंगलवार को एक बड़े हादसे के बाद अब वहां पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू हो गया है। इसमें सेतु निगम के एमडी के साथ वाराणसी पुलिस के अधिकारी शामिल हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 17 May 2018 11:43 AM (IST)Updated: Thu, 17 May 2018 04:48 PM (IST)
वाराणसी में फ्लाईओवर हादसे को लेकर सेतु निगम व वाराणसी प्रशासन अब आमने-सामने
वाराणसी में फ्लाईओवर हादसे को लेकर सेतु निगम व वाराणसी प्रशासन अब आमने-सामने

वाराणसी (जेएनएन)। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मंगलवार को एक बड़े हादसे के बाद अब वहां पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चालू हो गया है। इसमें सेतु निगम के एमडी के साथ वाराणसी पुलिस के अधिकारी शामिल हैं।

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वाराणसी में पुल की दो बीम गिरने से हुई मौतों के बाद रूट डायवर्जन को लेकर सेतु निगम अब गलत बयानी में जुट गया है। सेतु निगम के एमडी राजन मित्तल का कहना है कि पुल पर बीम तैयार करने के बाद पुलिस को रूट डायवर्जन के लिए कहा गया था, लेकिन विभाग की ओर से जो पत्र जारी किए गए, उनमें डायवर्जन से संबंधित एक भी पत्र नहीं हैै। दूसरी ओर पुलिस का कहना है कि रूट डायवर्जन के लिए कभी नहीं लिखा गया। वैसे भी इसकी जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था की होती है। यदि पुल के नीचे आवागमन बंद होता तो लोगों की जान बच सकती थी।

राजन के अनुसार, पुल पर फरवरी में ही बीम तैयार की गई थी। इसके बाद पुल के नीचे आवागमन नहीं होना चाहिए था। सेतु निगम ने इसके लिए पुलिस को पत्र भी लिखा था कि रूट डायवर्ट किया जाए लेकिन, अनसुना कर दिया गया। निगम ने पुल के नीचे रूट डाइवर्जन के लिए दबाव बनाया तो यातायात पुलिस ने उल्टा परियोजना प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा लिखा दिया। हालांकि उन्होंने जो पत्र दिखाए, उसमें रूट डायवर्जन का कोई नहीं था।

दूसरी डीआइजी (कानून व्यवस्था) प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने पुलिस ब्रीफिंग में कहा कि इसकी जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था की होती है। गाइडलाइन में भी इसका स्पष्ट उल्लेख है। मामले में मुकदमा दर्ज जांच की जा रही है।

सेतु निगम के प्रबंधक ने कहा कि जांच के बाद ही घटना के मूल कारणों का पता चल सकता है लेकिन ऐसी आशंका है कि संभवत: दो दिन पहले आए आंधी-तूफान में पिलर्स की बियङ्क्षरग इधर-उधर हुई और बीम के गिरने का कारण बनी। इस बीच अधिकारियों ने यदि इसका निरीक्षण किया होता तो उनकी निगाह इस पर पड़ गई होती। निगम ने मुख्य अभियंता के नेतृत्व में चार अभियंताओं की टीम भेजी है, जो हादसे के मूल कारणों का पता लगाएगी।

सेतु निगम ने विशेषज्ञ की मदद मांगी

दुर्घटना की जांच के लिए सेतु निगम ने यहां से जिन चार अभियंताओं की टीम भेजी है, उनमें मुख्य अभियंता वाईके शर्मा, एके श्रीवास्तव, जोगेंद्र सिंह व संदीप गुप्ता शामिल हैं। इसके साथ ही निगम ने पुलों के निर्माण में अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ विनय गुप्ता को भी दिल्ली से बुलाया है। वह आज वाराणसी जाकर जांच करेंगे।

अब सभी निर्माणाधीन पुलों की होगी जांच

वाराणसी हादसे से सबक लेकर सेतु निगम ने अब सभी निर्माणाधीन पुलों और फ्लाईओवर की जांच कराने का फैसला किया है। एमडी ने बताया कि अलग-अलग टीमों को निरीक्षण के लिए भेजा जाएगा। वर्तमान में सेतु निगम 183 पुलों का निर्माण करा रहा है। जांच के बाद यदि कहीं लापरवाही पाई गई तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।

उत्तर प्रदेश सेतु निगम के प्रबंध निदेशक राजन मित्तल का बयान है कि पुल में इस्तेमाल हुए कंक्रीट, सरिया और डिजाइन में कोई गड़बड़ी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि बीम आंधी-तूफान से भी खिसकी थी। इनके बयान पर गौर करें तो लगता है कि पुल की दो बीम गिरने की वजह निगम की लापरवाही नहीं बल्कि आंधी-तूफान है।

सेतु निगम के प्रबंध निदेशक राजन मित्तल ने आरोप लगाया कि वाराणसी पुलिस प्रशासन ने उन्हें सहयोग नहीं किया। कई बार डायवर्जन को लेकर पत्र जारी किए गए, लेकिन उल्टे वाराणसी प्रशासन ने उनके अधिकारियों पर केस कर दिया। यही वजह है कि उन्हें खुले रास्ते में यह पुल बनाना पड़ा।

पुलिस ने कहा कि उनके पास इनके सारे दस्तावेजों का पूरा चिट्ठा मौजूद है। उन्होंने सेतु निगम को इस पुल को बनाने पूरी प्रशासनिक मदद दी है, यह कोई पहला पुल नहीं है। इससे पहले शहर में सेतु निगम के तीन पुल बनकर तैयार हो चुके हैं। जितने भी पत्राचार हुए हैं वह सभी इस ओर इशारा करते हैं कि प्रशासन से कहीं कोई चूक नहीं हुई है। वाराणसी के डीएम योगेश्वर राम मिश्रा ने कहा कि जब जब इस पुल को बनाने को लेकर सेतु निगम ने उनसे जो सहयोग मांगा उसे प्रशासन ने दिया है चाहे वह सड़कों के चौड़ीकरण का हो, रास्ते से धार्मिक स्थलों को हटाए जाने का हो, ट्रैफिक व्यवस्था सुदृढ़ करने का हो। सब कुछ प्रशासन ने किया है लेकिन हादसे के बाद इस तरह की बयानबाजी की वजह उन्हें समझ नहीं आ रही है।

मिश्रा ने कहा कि सेतु निगम को मेट्रो की तरह अपने प्रोजेक्ट को चारों तरफ से से घेरकर काम करना चाहिए था, लेकिन उन लोगों ने ज्यादातर जगहों पर ऐसा नहीं किया। निर्माणाधीन पुल के दोनों ओर ट्रैफिक बंद करने की सेतु निगम की मांग पर डीएम ने कहा कि यह शहर का सबसे महत्वपूर्ण सड़क है जिसमें रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड से लेकर एयरपोर्ट को जोडऩे वाली एकमात्र सड़क है। ऐसे में इसे बंद नहीं किया जा सकता। 


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