आशा भोसले की आवाज पर झूम उठा बनारस
पहली बार काशी आईं आशा भोसले ने अपने कुछ लोकप्रिय गानों के मुखड़े सुनाकर श्रोताओं के दिलों में अपनी छाप छोड़ी।
वाराणसी (जागरण संवाददाता)। गंगा तट पर रविवार की रात संगीत जगत की दो महान विभूतियों का मिलन आंखों को सुकून देने वाला रहा। एक ओर अप्पाजी थीं तो दूसरी ओर आशा ताई। दोनों ही सुर साम्राज्ञी। हजारों काशीवासियों ने उसी जोशो-खरोश के साथ उनका अभिनंदन भी किया। पहली बार काशी आईं आशा भोसले ने अपने कुछ लोकप्रिय गानों के मुखड़े सुनाकर श्रोताओं के दिलों में अपनी छाप छोड़ी।
यूनेस्को के सहयोग से नगर निगम व पहल संस्था द्वारा भैंसासुर घाट पर आयोजित संगीत महोत्सव सुर गंगा में रात लगभग नौ बजे मंच पर पहुंचीं आशा भोसले अपने सम्मान से अभिभूत होकर स्वयं को रोक न सकीं। उन्होंने अपना गीत 'प्रेम में तोहरे ऐसी पड़ी मैं, पुराना जमाना नया हो गया, ये क्या हो गया' सुनाकर हजारों श्रोताओं की मुराद पूरी कर दी।
इसके बाद दूसरे गाने का मुखड़ा 'चुरा लिया है तुमने जो दिल को, नजर नहीं चुराना सनम' सुनाया। इसके बाद श्रोता हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए एक और की मांग करने लगे। इस पर आशा ताई ने कहा कि मेरा गला खराब है। इस पर मंच संभाले अभिनेता अन्न कपूर ने कहा, 'नहीं दीदी, आपका गला बिल्कुल ठीक है।' इस पर हंसते हुए आशा दीदी ने सदाबहार लोकप्रिय गीत 'झुमका गिरा रे बरेली के बजार में' की दो-तीन लाइनें सुनाईं।
आगे, भजन 'शंकर भंडारी भोले, मस्तक पर चंद्र सोए' सुनाकर जब आशा भोसले माइक लौटाने लगीं तब अन्नू कपूर ने उनके लोकप्रिय गीत, 'पिया तू' की याद दिलाई। इस पर आशा ताई ने जैसे ही 'पिया तू अब तो आजा, शोला सा मन बहके आके बुझा जा' सुनाया, अन्नू 'मोनिका ओ माई डार्लिंग' कहकर ठुमकने लगे।
इस शानदार प्रस्तुति के बाद पद्मविभूषण गिरिजा देवी ने भी सुर गंगा के इस मंच को अपने सुरों से सजाया। उन्होंने राग भुपाली में रचना 'हे महादेव महेश्वर' के पश्चात भगवान कृष्ण की रचना 'मद के मारे तोरे नैन' की प्रस्तुति की। उन्होंने ठुमरी भी सुनाई। इनके साथ तबले पर पं. कुमार बोस, सारंगी पर पं. संतोष मिश्र व हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्र ने संगत की।
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प्रख्यात पाश्र्वगायक हरिहरन ने भी अपने गीतों से काशीवासियों का दिल जीता। उन्होंने महामृत्युंजय मंत्र से गायन शुरू किया। इसके बाद देशभक्ति गीत 'भारत हमको जान से प्यारा है' प्रस्तुत किया। उसके बाद एक ठुमरी 'रूठ गए मोरे नैना' पेश किया। अंत में चप्पा-चप्पा चरखा चले प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीत लिया।
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