वाराणसी में पेयजल संकट और दूषित पानी को लेकर फूटने लगे विरोध के स्वर, लॉकडाउन उल्लंघन ने रोका कदम
कोरोना संकट व भीषण गर्मी तथा उमस के बीच दिनोंदिन बढ़ते पेयजल संकट से वाराणसी के लोगों का धैर्य जवाब देने लगा है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संकट व भीषण गर्मी तथा उमस के बीच दिनोंदिन बढ़ते पेयजल संकट से लोगों का धैर्य जवाब देने लगा है। महामारी से बचने के जतन के बीच नलों से सीवर का मलजल आ रहा तो कई मोहल्लों में टोटी बेधार हो चुकी है। इसमें विभाग एक दूसरे के सिर टोपी सरका रहा है। ऐसे हालात के चलते जगह-जगह विरोध के स्वर उठने लगे हैं। लोगों को सड़क पर उतरने से किसी ने रोके रखा है तो लॉकडाउन ने। नगर निगम और जलकल संस्थान के कंट्रोल रूम में रोजाना पेयजल संकट और दूषित जलापूर्ति की शिकायतें आ रही हैं मगर अफसरों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा। वरुणापार तक में हालात बेहद खराब हैैं, जहां घर-घर गंगा का पानी आपूर्ति किया जाना था लेकिन कई मोहल्लों में गंदा पानी आ रहा है।
गर्मी शुरू होने से पहले मार्च के पहले सप्ताह में लखनऊ में हुई बैठक में मुख्यमंत्री और नगर विकास मंत्री ने अफसरों संग बैठक कर पेयजल योजनाओं की समीक्षा की थी। उन्होंने अफसरों को चेतावनी देते हुए कहा था कि गर्मी से पहले हर हाल में पेयजल आपूॢत से जुड़ी योजनाओं को पूरा कर लिया जाए। जनता को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं सका। स्थिति बनने को कौन कहे और बिगड़ गई। करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी शहरवासियों को शुद्ध और समय से पानी नहीं मिल पा रहा। कई इलाकों में जलापूर्ति ठप होने के साथ नल की टोटी की धार पतली हो गई है। लोग दूसरे मोहल्लों से पानी लाने को विवश हैं। यही स्तिति रही तो हालात बेकाबू हो सकते हैैं। मई के तीसरे पखवाड़े में पड़ रही जोरदार गर्मी से लोगों के हलक सूख रहे हैं। पेयजल संकट एक-दो नहीं, बल्कि दर्जनों मोहल्लों में है। कई पार्षद जिले के आला अफसरों से पेयजल संकट की शिकायत कर थक चुके हैं लेकिन किसी की कान पर जूं नहीं रेंग रहा है।
अमृत में होने थे 50 हजारों घरों में कनेक्शन
अमृत योजना से शहर में 50 हजार से अधिक नए पेयजल कनेक्शन मकानों में होने थे। कार्यदायी संस्था यूपी जल निगम अभी इस काम को अंजाम नहीं दे पाई, जबकि काम को पिछले साल जून-2019 में पूरा करना था। जिन मकानों में पानी के कनेक्शन हुए हैं वहां पानी नहीं पहुंच रहा है। यदि पानी पहुंच रहा तो नल की टोटी से धार पतली है। पिछले साल तत्कालीन नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने बनारस दौरे के दौरान कार्यदायी संस्था को कनेक्शन करने के साथ पेयजल सप्लाई पर विशेष जोर दिया था। गुणवत्ता ठीक नहीं होने पर उन्होंने दो अधिशासी अभियंता, एक सहायक अभियंता और एक जेई को निलंबित भी किया था। बड़ी कार्रवाई के बाद भी योजना धरातल पर नहीं उतर सकी।
पुरानी पाइपलाइन में कर दिया कनेक्शन
वरुणापार के सभी घरों में पानी पहुंचाने के लिए सारनाथ रेलवे स्टेशन के पास वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार है। यहां अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक बैठते हैं। पुरानी पाइप लाइन में प्लांट से जलापूर्ति होते ही सड़कों पर जगह-जगह फव्वारे निकलने लगते हैं। जलभराव के साथ सड़कें खराब होने लगती हैं। यही कारण है कि जलनिगम कई लाख रुपये लीकेज बंद करने में लुटा चुका। लीकेज कब बंद होंगे कोई बताने वाला नहीं है।
हॉटस्पॉट एरिया में नलों से दूषित जलापूर्ति
हॉटस्पॉट एरिया गायत्री नगर के साथ ही आसपास की कालोनियों में भी नलों से गंदा पानी आ रहा है। शिकायत के बाद भी कई दिनों से यही हाल है। ऐसे में लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा। रमरेपुर में पिछले एक सप्ताह से पेयजल संकट है। यहां दो से तीन दिन में कभी-कभार पानी आता है, वह भी दूषित। तीन माह से बरईपुर, गंज, घुरहूपुर समेत कई इलाकों में दूषित पानी आ रहा है। यहां के लोग मिनरल वाटर खरीदकर या पानी उबालकर पीते हैं। बरईपुर के राजीव सिंह, विनय, चंद्रबलि पांडेय, संत बहादुर सिंह, शैलेंद्र पांडेय, गंज के गुरविंदर सिंह, चंदन, गुलाब का कहना है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनने के बाद भी पानी का संकट बना हुआ है। सरकार का करोड़ों रुपये लगने से क्या फायदा। जैतपुरा, आदमपुर, गायघाट, पक्के महाल, तुलसीपुर, खोजवां, नवाबगंज, किरहिया, नरिया, साकेत नगर, पांडेय महाल आदि क्षेत्रों में पेयजल संकट है। श्रीनगर कालोनी के अवनीश सिंह का कहना है कि पाइपलाइन पडऩे के साथ उम्मीद जगी थी कि अब पानी आसानी से मिलेगा लेकिन दुश्वारियां खत्म नहीं हुईं। पिछले आठ साल से पानी का संकट है।
वाराणसी जल की आपूर्ति
-310 एमएलडी की मांग
-270 एमएलडी की आपूर्ति
-रोज आती हैं 15 से 20 शिकायतें
क्षेत्रीय जेई से शिकायतों की रोज रिपोर्ट मांगी जाती है
शहर में जलापूर्ति की कोई बड़ी समस्या नहीं है। फिलहाल बाहरी यात्री भी नहीं आ रहे हैं। क्षेत्र में कोई शिकायत होने पर उसे दूर किया जाता है। क्षेत्रीय जेई से शिकायतों की रोज रिपोर्ट मांगी जाती है।
-नीरज गौड़, महाप्रबंधक जलकल।