राजपथ पर दिखेगा गुदई महाराज का तबला, बिस्मिल्लाह की शहनाई अौर गिरिजा देवी के सजेंगे सुर
भव्य-दिव्य श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की प्रतिकृति के साथ ही पतित पावनी गंगा और उसके घाट शहर बनारस की धार्मिक थाती के दर्शन कराएंगे।
वाराणसी, जेएनएन। देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर बनारस का सांस्कृतिक व धार्मिक वैभव नजर आएगा। भव्य-दिव्य श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की प्रतिकृति के साथ ही पतित पावनी गंगा और उसके घाट शहर बनारस की धार्मिक थाती के दर्शन कराएंगे। झांकियों में शांति का संदेश देते महात्मा बुद्ध तो श्रमसाधक संत कबीरदास और रविदास अध्यात्म गंगा बहाएंगे। इसके अलावा संगीत नगरी को देश दुनिया में कला से मान दिलाने वाले तबला सम्राट गुदई महाराज, शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी की झलक भी अपलक होने को विवश करेगी।
वास्तव में इस बार उत्तर प्रदेश की ओर से राजपथ की झांकियों की थीम यूपी का धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन रखा गया है। इसमें धर्म-अध्यात्म, संगीत-कला व पर्यटन नगरी बनारस को खास प्रतिनिधित्व दिया गया है। इस तरह की झांकियों को तैयार करने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश मिलने के साथ तैयारियां की जाने लगी हैैं। इसमें श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के साथ ही संस्कृति विभाग लगा है। वास्तव में काशी का सांस्कृतिक व आध्यात्मिक वैभव सदा से देश विदेश के सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। केंद्र सरकार इसे भव्यता देने के लिए कई योजनाओं पर कार्य कर रही तो थाती को प्रचारित-प्रसारित करने पर भी जोर हैैं।
हालांकि गणतंत्र दिवस पर राजपथ से गुजरने वाली झांकियां सिर्फ देश ही नहीं विदेश तक के लोगों को आकर्षित करती है। इस लिहाज से ही सात अरब की लागत से 50 वर्ग फीट में विकसित किए जा रहे श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का अक्स दिखाने की तैयारी है। महात्मा बुद्ध ने इस नगरी में प्रथम उपदेश दिया तो कबीर व रविदास ने यहां से ही विश्व को श्रम साधना का संदेश दिया। बिस्मिल्लाह खान ने साधारण से साज को भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख साज में शुमार कराया तो गुदई महाराज ने तबले को रुतबा दिलाया व पद्मविभूषण गिरिजा देवी का नाम ठुमरी की पहचान से जुड़ा है।