Varanasi City Weather Forecast : तीन-चार दिनों तक आसमान में बादल घेरे रहेंगे और मौसम रहेगा सुहाना
बनारस शहर से लेकर आंचलिक इलाकों में मंगलवार को बेहतर बारिश हुई। हालांकि शहरी इलाकों में अलग-अलग समय पर रूक-रूक कर वर्षा दिन भर होती रही।
वाराणसी, जेएनएन। बनारस शहर से लेकर आंचलिक इलाकों में मंगलवार को बेहतर बारिश हुई। हालांकि शहरी इलाकों में अलग-अलग समय पर रूक-रूक कर वर्षा दिन भर होती रही। बुधवार को सुबह से घने बादल छाए है। मौसम विज्ञानी के अनुसार आने वाले तीन-चार दिनों तक। बारिश सहित कहीं-कहीं रिमझिम फुहारें भी होंगी। सोमवार को बनारस का अधिकतम तापमान 31.4 डिग्री सेल्सियस थी जो मंगलवार को घटकर 31. 0 डिग्री सेल्सियस पर आ गई। वहीं सोमवार का न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस था जो मंगलवार को घटकर 25.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं मंगलवार को आद्रता अधिकतम 86 फीसद और न्यूनतम 78 फीसद दर्ज की गई और बारिश 2.8 मिमी हुई। बीएचयू के मौसम विज्ञानी प्रो. एस एन पांडेय के अनुसार आने वाले तीन-चार दिनों तक । बारिश सहित कहीं-कहीं रिमझिम फुहारें भी होंगी।
झमाझम बारिश से नगर के विभिन्न मोहल्लों में हुए जलजमाव से आवागमन में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोग सड़क किनारे जमा पानी के बीच से होकर निकले। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश से रोपनी का काम तेज हो गया। किसानों ने धान के बेहन की रोपाई की। ग्रामीण क्षेत्रों में हुई बारिश के बाद किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी, जो पहले रोपनी कर चुके हैं उनके लिए बारिश का यह पानी काफी लाभप्रद साबित होगा।
मऊ में तीसरी बार घाघरा लाल निशान पार
घाघरा के जलस्तर में निरंतर वृद्धि हो रही है। नदी ने लाल निशान को तीसरी बार पार किया है। इससे देवारा के निचले इलाकों में फिर पानी घुस गया है। देवारावासियों की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं। जिस तरह से जलस्तर एकाएक फिर बढ़ रहा है, वैसै ही जारी रहा तो तबाही का मंजर साफ देखने को मिल सकता है। औराडांड़ में घाघरा का जलस्तर 70.75 मीटर पर है। यहां घाघरा का जलस्तर खतरा बिंदु से 35 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। गौरीशंकर घाट पर जलस्तर 69.85 मीटर है। यहां अभी नदी का जलस्तर खतरा बिंदु से पांच सेंमी नीचे है। जलस्तर बढऩे से तटवर्ती इलाकों में तबाही मच गई है। पहले से ही खेतों में जलभराव है। फसलें जलमग्न हैं। बहुत से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। किसानों की गाढ़ी कमाई घाघरा लील चुकी है। अब किसान अपने गन्ने की फसल के लिए चिंतित हैं। क्योंकि धान की फसल तो डूब जाने से बर्बाद हो चुकी है। घाघरा के तटवर्ती इलाकों के सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है। अब किसान घाघरा की प्रलयंकारी विभीषिका से पूरी तरह से सहमा हुआ है। सबसे विकट स्थिति पशुओं की चारे की हो गई है। लगातार पानी की वजह से फसल नष्ट हो चुकी हैं।