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पशु, मत्स्य व मधुमक्खी पालन से चहकेगा वाराणसी का कारोबार, प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद बढ़ी अपार संभावनाएं

बिना खेती बिना खसरा-खतौनी वालों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलने जा रही है। वाराणसी में इसके लिए हजारों लोगों की सूची बैंकों को सौंप दी गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 06:52 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 02:39 AM (IST)
पशु, मत्स्य व मधुमक्खी पालन से चहकेगा वाराणसी का कारोबार, प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद बढ़ी अपार संभावनाएं
पशु, मत्स्य व मधुमक्खी पालन से चहकेगा वाराणसी का कारोबार, प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद बढ़ी अपार संभावनाएं

वाराणसी, जेएनएन। बिना खेती, बिना खसरा-खतौनी वालों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा मिलने जा रही है। इसके लिए हजारों लोगों की सूची बैंकों को सौंप दी गई है। ऐसा होने से पशुपालन, मत्स्यपालन एवं मधुमक्खी पालन के माध्यम से दूध, मछली व शहद का कारोबार बढ़ेगा। इसके लिए सरकार की ओर से पालकों को भरपूर मदद की जा रही है। कारण कि इस क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं।

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जिले में 4000 किलो शहद का उत्पादन

फिलहाल जनपद में 46 किसान छोटे बड़े स्तर पर मौन पालन यानी मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। 1200 बॉक्स किसानों के पास है, जिससे जिले में 4000 किलो शहद उत्पादन होता है। जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता के अनुसार एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना में अनारक्षित 100, अनुसूचित जाति के लिए 200 बाक्स वितरण का लक्ष्य है। प्रति बाक्स 4000 लागत पर 40 प्रतिशत 1600 रुपये का अनुदान भी दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि भारत विश्व में चौथा शहद उत्पादक देश है तथा प्रति व्यक्ति 10 ग्राम प्रतिदिन शहद की उपलब्धता हो पाती है, जबकि स्वस्थ रहने के लिए 50 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन शहद की उपलब्धता होनी चाहिए। ऐसे में वाराणसी में भी मौन पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। किसान प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष लाभ के साथ ही 50 मौन बॉक्स रखने से तीन से चार लाख तक के आय में वृद्धि कर सकते हैं।

जिले में 4500 टन मछली उत्पादन का लक्ष्य

मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए हर ग्राम पंचायत में तालाबों का पट्टा दिया जा रहा है। इसके तहत कम से कम एक तालाब तो होना ही चाहिए। मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मत्स्य रविंद्र प्रसाद के अनुसार जिले में इस साल 10 हेक्टेयर निजी तालाब बनाने का लक्ष्य है। इसमें मनरेगा को भी शामिल किया गया है। साथ ही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मत्स्य पालन करने वालों को भी किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया कराया जा रहा है। इसके माध्यम से पालकों को लोन मुहैया कराया जाएगा। फिलहाल जिले में 3500 टन मछली का उत्पादन हो रहा हे, जिसे बढ़ाकर 4500 टन किए जाने की योजना है। इस पर कार्य भी तेजी से शुरू हो गया है। उन्होंने बताया कि मछली पालन के कारोबार में अपार संभावनाएं हैं। कारण कि मांग के अनुसार यहां पर अभी उत्पादन नहीं हो पा रहा है। इस कारोबार में नई युवा पीढ़ी भी नई तकनीकी के साथ आगे आ रही हैं।

खेती ही क्यों गाय-भैंस पालिए और केसीसी पाइए

अभी तक खेती करने करने वाले किसानों का ही किसान क्रेडिट कार्ड बनता था। वह भी जिसके नाम से खेत रहता था, लेकिन अब बिना खेती के ही केसीसी का लाभ पा सकते हैं। बस आप भैंस, गाय, बकरी का पालन कर केसीसी कार्ड बनवा सकते हैं। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. बीबी सिंह ने बताया कि नाबार्ड के तहत दो से 10 पशु पालने वालों को सीधे बैंक से लोन दिया जा रहा है। करीब 1400 केसीसी फार्म बैंकों को भेज दिया गया है। साथ ही मनरेगा के लिए कैटल शेड बनाने का भी कार्य किया रहा है। इसके लिए 1500 किसानों की सूची दी गई है। गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी पालन से किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। इसमें भी अपार संभावनाएं हैं। डा. सिंह ने बताया कि पशुपालकों को तमाम सुविधाएं दी जा रही है, जिससे कारोबार बढ़ेगा।


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