पशु तस्करी का मुख्य मार्ग बन गया वाराणसी, बांग्लादेश तक होती है तस्करी, बकरीद पर बढ़ी निगरानी
Cattle Smuggling in Varanasi वाराणसी के रामनगर में पकड़े गए 16 ऊंटों की कहानी बकरीद पर कुर्बानी की परंपरा से जुड़ी हुई है। दरअसल इन ऊंटों को पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में कुर्बानी के लिए ले जाया जा रहा था।
वाराणसी [देवेंद्र सिंह]। रामनगर में एक वाहन से तस्करी कर ले जाए जा रहे 16 ऊंट बरामद हुए। यह पहला मामला नहीं जब तस्करी के लिए ले जाए जा रहे पशुओं को पकड़ा गया है। बनारस पशु तस्करी का मुख्य मार्ग बन गया है। बनारस के आसपास डेवलप हो रहे हाई वे और रिंग रोड पशु तस्करी के लिए बेहद मुफीद साबित हो रहे हैं। देश के अन्य हिस्सों से सीधे जुड़ाव की वजह से पशु तस्करों का नेटवर्क बनार से रास्ते को उपयोग कर रहे हैं।
पशु तस्करी के देश के दूसरे हिस्सो से पश्चिम बंगाल होते बांग्लादेश तक होती है। छोटे-बड़े पशुओं से लेकर कछुए तक पश्चिम बंगाल पहुंचाए जाते हैं। यहां से बांग्लादेश पहुंचते हैं। कछुए तो चीन तक भेजे जाते हैं। बनारस से कोलकाता तक की सीधी सड़क होने की वजह से पशु तस्कर इस रास्ते का उपयोग करते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के सख्त होने की वजह से पशु तस्करी में कुछ कमी तो आई है लेकिन इस पर रोक नहीं लग सकी है। पशु तस्कर मालवाहक गाड़ियों में क्रूरता से पशुओं को लादकर ले जाते हैं। आमतौर पर गोवंश और भैसों की तस्करी ज्यादा होती है लेकिन बकरीद आने वाला है।
पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश में कई जगहों पर ऊंटों की कुर्बानी होती है। इसलिए ऊंटों की तस्करी भी हो रही है। पशु तस्करी में मोटी कमाई होती है। पशुओं के एक खेप को पश्चिम बंगाल तक पहुंचाने के बदले तस्करों को 50 हजार रुपये तक मिल जाते हैं। ऊटों के लिए तो यह रकम एक लाख तक होती है। देश भर में नेटवर्क बनाए पशु तस्कर अशक्त-बीमार पशुओं को औने-पौने दाम में खरीद लेते हैं और उन्हें वाहनों से बांग्लादेश तक पहुंचाने में अच्छी-खासी कमाई कर लेते हैं। इनके नेटवर्क में बार्डर पार कराने में वाले भी शामिल होते हैं। पुलिस की लाख कोशिश के बाद भी पशु तस्करों का नेटवर्क टूट नहीं सका।