Move to Jagran APP

अनूठे प्रयासों से ग्रामीणों की जीवनधारा को गो-प्रेम से जोड़ा, बेसहारा गोवंशियों को स्वस्थ कर दे रहे 'गोद'

सुरियावां-कलिंजरा मार्ग पर चार हजार की आबादी वाले ज्ञानपुर ब्लाक के रमईपुर गांव में पेयजल के लिए हैंडपंप लगे हैं। हर घर बिजली पक्की सड़क के अलावा 75 प्रतिशत गरीबों को पीएम सीएम ग्रामीण आवास योजना के तहत अपना घर मिल चुका है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 13 Jun 2022 06:21 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jun 2022 10:18 AM (IST)
अनूठे प्रयासों से ग्रामीणों की जीवनधारा को गो-प्रेम से जोड़ा, बेसहारा गोवंशियों को स्वस्थ कर दे रहे 'गोद'
बेसहारा गोवंशियों को स्वस्थ कर दे रहे 'गोद

जीतेंद्र उपाध्याय, भदोही: आपने बेसहारा पशुओं को सहारा देने के लिए बनाए गए आश्रय स्थलों के यातना गृह बन जाने की कहानियां पढ़ीं होंगी, लेकिन उत्तर प्रदेश में भदोही के रमईपुर गांव के प्रधान महेंद्र कुमार सिंह ने व्यक्तिगत प्रयास से इस अनुभव को पलट कर रख दिया है। आज उनके गांव के आश्रय स्थल में बेसहारा गोवंशियों की संख्या 175 हो गई है। अच्छी देखभाल, चारा और भोजन मिलने से ये गोवंश इतने स्वस्थ हो चुके हैं कि ग्रामीण इन्हें 'गोद' लेकर अपने घर ले जा रहे हैं।

loksabha election banner

वर्ष 2021 में महेंद्र प्रधान बने तो उन्हें बदहाल पशु आश्रय स्थल और 67 बीमार गोवंशी मिले। बजट की तंगी थी तो अपना पैसा लगाया। भूसा के अलावा हरे चारे के लिए अपने खेत में चरी बोआई। खली-चूनी पर महीना आठ से दस हजार रुपये तक खर्च किया। इसके अलावा तीन घंटे सिवान (गांव का बाहरी क्षेत्र) में चरने को छोड़ते। जल्द इसका असर दिखने लगा। स्वस्थ गोवंशियों को देखकर ग्रामीणों इन्हें पालने में रुचि दिखाई। पशु पालन विभाग से लिखा-पढ़ी के बाद ग्रामीण 35 गायों को अपने घर ले जा चुके हैं। महेंद्र उनके खातों में 30 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 900 रुपये प्रतिमाह महीना भेजते हैैं।

जनवरी 2019 में थे 34 मवेशी: जनवरी 2019 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पशु तस्करी, वध पर रोक लगाते हुए गोशाला बनवाने का निर्णय लिया। रमईपुर में अस्थायी गोशाला बनी। शुरुआत में यहां 34 गोवंश थे। वर्ष 2020 तक इनकी संख्या 67 हो गई। वर्ष 2021 में महेंद्र प्रधान बने तो आसपास घूमने वाले बेसहारा गोवंशियों को यहां ले आए और धीरे-धीरे इनकी संख्या 175 हो गई।

आठ बिस्वा में पांच चरनी: आठ बिस्वा में बने आश्रय स्थल के बीच में चरनी बनी है। इसमें लबालब पानी से भरी बड़ी-बड़ी हौदी और आठ शटरदार भूसा घर हैैं। सिवान से लौटने के बाद गोवंश जैसे ही अपने घर पहुंचते हैं, चरनी की ओर दौड़ पड़ते हैं।

प्रत्येक दिन होती है स्वास्थ्य की जांच: भीषण गर्मी के कारण स्थानीय पशुधन केंद्र का एक फार्मासिस्ट प्रतिदिन आकर गोवंशियों के स्वास्थ्य की जांच करता है। सभी का टीकाकरण हो चुका है। इनकी देखभाल के लिए छह लोग काम करते हैं। हालांकि महेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार ने यह व्यवस्था दी है तो केयरटेकर भी देना चाहिए। बड़े मंचों से वह इसकी मांग भी कर चुके हैैं।

गांव के विकास पर भी ध्यान: सुरियावां-कलिंजरा मार्ग पर चार हजार की आबादी वाले ज्ञानपुर ब्लाक के रमईपुर गांव में पेयजल के लिए हैंडपंप लगे हैं। हर घर बिजली, पक्की सड़क के अलावा 75 प्रतिशत गरीबों को पीएम, सीएम ग्रामीण आवास योजना के तहत अपना घर मिल चुका है। 220 घरों में रसोई गैस पर खाना पकता है। हर घर नल से जल योजना के तहत पाइप लाइन बिछ गई है, टंकी के लिए जगह का चयन नहीं हो पाया है। सामुदायिक शौचालय, पंचायत सचिवालय काम कर रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.