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सरकारें आती-जाती रहीं, नहीं सुलझा सीमा विवाद, पिछले 70 वर्षों में नहीं सुलझ पाया मसला

सरकारें आती-जाती रहीं लेकिन जिले में यूपी-बिहार का सीमा विवाद आज तक नहीं सुलझ सका। जनता अपने द्वार पर वोट के लिए पहुंच रहे प्रत्याशियों व उनके समर्थकों से यही सवाल कर रही है।

By Vandana SinghEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 12:43 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 12:43 PM (IST)
सरकारें आती-जाती रहीं, नहीं सुलझा सीमा विवाद, पिछले 70 वर्षों में नहीं सुलझ पाया मसला
सरकारें आती-जाती रहीं, नहीं सुलझा सीमा विवाद, पिछले 70 वर्षों में नहीं सुलझ पाया मसला

बलिया, [डॉ.रवींद्र मिश्र]। सरकारें आती-जाती रहीं लेकिन जिले में यूपी-बिहार का सीमा विवाद आज तक नहीं सुलझ सका। खुद के राज्य के प्रशासनिक व्यवस्था से निराश किसान सीमा विवाद सुलझाने की राह 70 वर्षों से देख रहें है लेकिन कोई भी सांसद या जनप्रतिनिधि हल नहीं निकाल सका। इस लोकसभा चुनाव में भी गंगा पार के किसानों का यही मुद्दा है। जनता अपने द्वार पर वोट के लिए पहुंच रहे प्रत्याशियों व उनके समर्थकों से यही सवाल कर रही है कि आखिर सीमा विवाद का हल कब निकलेगा। आखिर हम कब तक गोली खाते रहेंगे।

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 सभी मानते हैं कि सरकार भी इस मामले में गंभीर नहीं है। अभी बिहार में भी भाजपा समर्थित सरकार है। यूपी-बिहार दोनों सरकारें यदि इस मामले को सुलझा दें तो हजारों किसानों का भला हो सकता है। अभी तक के हालात यह हैं कि यूपी के किसान भले ही फसल की बोआई करते हैं लेकिन उनकी फसल बिहार के दबंग काट ले जाते हैं। गंगा उस पार हांसनगर दियारा लगभग 4200 एकड़ में फैला हुआ है।

सिताबदियारा से हांसनगर जवहीं तक लगभग 40 किमी में यूपी के किसान सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहे हैं। फसल बोआई व कटान के समय बंदूकें गरजती हैं और जो ज्यादा ताकतवर साबित होता है, वही फसल काट ले जाता है। इस मामले में अब तक दोनों प्रांतों के हजारों किसानों पर मुकदमे यूपी-बिहार के न्यायालयों में विचाराधीन हैं। अभी के समय में बिहार सरकार ने कुछ नए राजस्व ग्रामों का सृजन किया है। ऐसे में यूपी का बड़ा भू-भाग बिहार में जाने की भी आशंका है। जानकार बताते हैं कि त्रिवेदी आयोग के समय सीमा पर पिलर लगा दिया गया था लेकिन 80 के दशक में फिर बिहार वालों की नजर दियारा की उपजाऊ भूमि की तरफ हो गई।

इनसेट--किसानों को दस्तावेज देने पर भी नहीं मिलता ऋण

यूपी के गांव नौरंगा, चक्की नौरंगा, भुआल छपरा, उदई छपरा के डेरा आदि के किसान खेतों के कागजात जमा कर कृषि ऋण सहित कोई भी ऋण नहीं ले पाते हैं। बैंक वाले कह देते हैं कि यह अभी विवाद में है। इस पर लोन नहीं दिया जाएगा। दूसरी तरफ कोडऱहा उपरवार, रामपुर, दलन छपरा, मुरली छपरा आदि राजस्व गांवों से जमीन निकालकर बिहार के राजस्व गांव कंसपुर मदरौली, मोहनपुर आदि बनाने की प्रक्रिया यूपी व बिहार सरकार में विचाराधीन है।

हावी हैं बिहार के दबंग किसान

यूपी के जवहीं, दोकटी व नैनीजोर दियारे में बिहार के दबंग किसान ही हावी हैं। वे यूपी के किसानों का फसल यह कहकर बंदूक के बल पर लूट ले जाते हैं कि ये जमीन बिहार की है और इसके मालिक हम हैं। जानकार लोगों का कहना है कि अगर सरकार में बैठे लोग इसे गंभीरता से नहीं लेंगे तो इसका समाधान कभी नहीं हो पाएगा। 

यूपी-बिहार सीमा विवाद लंबे समय से चल रहा है। यह मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी है। इस मामले में चुनाव बाद प्रयास होगा कि यूपी-बिहार दोनों तरफ के अधिकारी दोनों तरफ के जमीनी कागजात के साथ एक साथ बैठकर वार्ता करें। इसके बाद ही इसका हल संभव है। यूपी के किसानों का हक किसी को भी मारने नहीं दिया जाएगा।

-राम नारायण वर्मा, तहसीलदार, बैरिया।


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