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मानसून की बेरुखी ने बढ़ाई बिजली की मांग, सितंबर में 80 फीसद से कम बारिश

मानसून में आयी कमजोरी के कारण बिजली का तापमान बढ़ते जा रहा है। बादलों की आवाजाही के बावजूद बारिश नहीं होने से मांग में ऊंचाई बनी हुई है। इस वजह से हालत संभालने के लिए यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर को भारी मशक्क्त करनी पड़ रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 09:11 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 09:11 PM (IST)
मानसून की बेरुखी ने बढ़ाई बिजली की मांग, सितंबर में 80 फीसद से कम बारिश
कम बरसात के कारण गत जुलाई, अगस्त व सितंबर माह में बिजली की मांग में रिकार्डतोड़ वृद्धि हो रही है।

सोनभद्र, जेएनएन। मानसून में आयी कमजोरी के कारण बिजली का तापमान बढ़ते जा रहा है। बादलों की आवाजाही के बावजूद बारिश नहीं होने से मांग में ऊंचाई बनी हुई है। इस वजह से हालत संभालने के लिए यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर को भारी मशक्क्त करनी पड़ रही है। बारिश नहीं होने से बढ़े उमस के कारण बिजली की अधिकतम प्रतिबंधित मांग 23917 मेगावाट तक पहुंच चुकी है। माना जा रहा है कि अधिकतम मांग पहली बार 24 हजार मेगावाट के आकड़े को भी छू सकती है।

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चालू सितंबर माह में मांग बढऩे में मानसून की कमजोरी सबसे बड़ा कारण है। इस महीने गत 20 दिनों में उत्तर प्रदेश में बारिश 80 फीसद कम हुई है। रविवार को ही प्रदेश में सामान्य से 86 फीसद कम बारिश हुई, जिसके कारण ज्यादातर जिलों का तापमान बढऩे के साथ उमस में बढ़ोतरी रही। इसका सीधा असर बिजली की मांग पर पड़ रहा है। गत एक जून से 20 सितंबर के बीच प्रदेश में 22 फीसद कम बारिश हुई है। जहां पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस दौरान 13 फीसद कम बारिश हुई वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश में 36 फीसद कम बारिश हुई है। बारिश में भारी कमी के कारण गत जुलाई, अगस्त और चालू सितंबर माह में बिजली की मांग में रिकार्डतोड़ वृद्धि हो रही है। मांग बढऩे के कारण ज्यादातर इकाइयों से उत्पादन कराया जा रहा है। रविवार पीक आवर के दौरान अधिकतम प्रतिबंधित मांग 23917 मेगावाट रही। सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे मांग 21508 तक पहुंच गई। ऐसा बहुत कम दिनों में होता है जब दिन के समय मांग इतनी ज्यादा होती है। बहरहाल दिन में बढ़ी मांग के कारण उत्पादन निगम की इकाइयों से 3360 मेगावाट, निजी इकाइयों से 7804 मेगावाट उत्पादन हो रहा था। मांग बढऩे के कारण जलविधुत इकाइयों से भी निरंतर उत्पादन कराया जा रहा है। सोमवार दिन में रिहन्द की चार इकाइयों से 161 मेगावाट, ओबरा की दो इकाइयों से 55 मेगावाट तथा खारा की तीन इकाइयों से 60 मेगावाट उत्पादन हो रहा था।

तीन वर्ष बाद सितंबर में पुन: सबसे ज्यादा मांग

वर्ष 2016 के बाद एक बार पुन: सितंबर माह में बिजली की अधिकतम प्रतिबंधित मांग का रिकार्ड बना है। सितंबर 2016 में बिजली की मांग रिकार्ड 17183 मेगावाट तक पहुंची थी। चालू सितंबर माह में भी लगातार चार बार अधिकतम प्रतिबंधित मांग का रिकार्ड बन चुका है। फिलहाल बीते 18 सितंबर को अधिकतम प्रतिबंधित मांग 23917 मेगावाट तक पहुंच गयी थी। पिछले पांच वर्षों के दौरान सितंबर माह में बिजली की अधिकतम प्रतिबंधित मांग में नौ हजार मेगावाट से ज्यादा की वृद्धि हो चुकी है। सितंबर 2015 में मांग 14908 मेगावाट थी।


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