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'लि‍विंग लिजेंड्स ऑफ बलिया' में विभूतियों को अपनी मिट्टी से जोडऩे का विश्वविद्यालय का अनूठा प्रयास : राज्यपाल

लि‍विंग लिजेंड्स ऑफ बलिया राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि लि‍विंग लिजेंड्स ऑफ बलिया फोरम के माध्यम से जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ने बलिया की उन विभूतियों को फिर से यहां की मिट्टी से जोडऩे की अनूठी पहल की है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 08:35 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 08:35 PM (IST)
'लि‍विंग लिजेंड्स ऑफ बलिया' में विभूतियों को अपनी मिट्टी से जोडऩे का विश्वविद्यालय का अनूठा प्रयास : राज्यपाल
चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ने बलिया की उन विभूतियों को फिर से यहां की मिट्टी से जोडऩे की अनूठी पहल की है।

बलिया, जेएनएन। राज्यपाल एवं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने कहा कि लि‍विंग लिजेंड्स ऑफ बलिया फोरम के माध्यम से जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय ने बलिया की उन विभूतियों को फिर से यहां की मिट्टी से जोडऩे की अनूठी पहल की है। जो फिलहाल यहां से दूर रहकर विभिन्न क्षेत्रों में अपना विशिष्ट योगदान दे रहे हैं।विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की भूमिका, चुनौतियां एवं संभावनाएं विषयक संगोष्ठी एवं लिविंग लिजेंड्स ऑफ बलिया फोरम की वेबसाइट का राजभवन से वीडियो कांफ्रेंसिंग माध्यम से उद्घाटन करते हुए राज्यपाल ने कहा कि इस फोरम के माध्यम से विश्वविद्यालय बलिया की विभूतियों को अपनी मिट्टी से जोडऩे तथा मधुर स्मृतियों को संजोने का न सिर्फ अवसर प्रदान करेगा, बल्कि मातृभूमि के ऋण से भी उऋण  करेगा।

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राज्यपाल ने कहा कि यह विश्वविद्यालय बलिया के जिस महान विभूति चंद्रशेखर के नाम पर स्थापित है, उनके पदचिन्हों पर चलकर कार्य करें और शीर्ष पर पहुंचे। बलिया की धरती एक अत्यन्त उर्वर धरती है, जिसने तमाम ऋषि-मुनियों से लेकर स्वाधीनता सेनानियों, साहित्यकारों, विद्धानों, बुद्धिजीवियों और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं  को जन्म दिया है। विश्वविद्यालय को स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की आवश्कता है। इसके लिए विश्वविद्यालय समय-समय पर ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं का सर्वेक्षण करें व स्वास्थ्य शिविर लगाए और जागरूकता अभियान चलाएं।

कहा कि नई शिक्षा नीति स्वदेशी ज्ञान और तकनीक के आधार पर नए भारत को शक्तिशाली बनाने में सहायक होंगे। नई शिक्षा नीति से भारतीय ज्ञान-शक्ति के सहारे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय ने अपने छोटे-से जीवनकाल में ही कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जो प्रशंसनीय है। इस अवसर पर जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय बलिया की कुलपति प्रो. कल्पलता पांडेय एवं विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारीगण ऑनलाइन जुड़े थे।

पूर्व पीएम के नाम पर बने केंद्रीय विश्वविद्यालय : नीरज शेखर

जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोह के अंतिम दिन 'वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य एवं जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय की भूमिका : चुनौतियां एवं समाधान' विषयक संगोष्ठी व सृजन --2020 के प्रतिभागियों के लिए पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आयोजित हुआ। समारोह की विधिवत शुरुआत  राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने वर्चुअल तरीके से दीप प्रज्वलित कर किया। 

मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद  नीरज शेखर ने कहा कि पिताजी पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखरजी के नाम पर विश्वविद्यालय मेरा सपना था। वर्तमान कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय अच्छे कुलपति के हाथों में है। यहां मेडिकल कालेज खुलना सौभाग्य की बात होगी। मैं चाहता हूं कि पिताजी को भारत रत्न मिले  या न मिले लेकिन उनके नाम से केंद्रीय विश्वविद्यालय जरूर बनाया जाय। कोशिश होनी चाहिए कि जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय  भी दुनिया के बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार हो। विवि के विकास को लेकर नीरज शेखर ने कहा कि जितने धन की आवश्यकता होगी, उसे मुख्यमंत्री से मिलकर पूरा कराया जाएगा।

विशिष्ट अतिथि मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने कहा कि चन्द्रशेखरजी सिद्धान्त और संकल्प के प्रति समर्पित थे। आज यह विश्वविद्यालय उनके आदर्शों पर चल रहा है। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि यह विश्वविद्यालय अपने उद्देश्यों को अवश्य पूरा करेगा। इस मिशन में विवि के शिक्षक और विद्यार्थी दोनों लगे हुए हैं।  विवि के स्थापना दिवस पर परिसर में 11 सौ दीप प्रज्वलित किए गए। एनसीसी कैडेटों व महाविद्यालयों के शिक्षकों व छात्रों ने भी दीप जलाए।

समारोह में मुख्य रूप से डा. प्रतिभा त्रिपाठी, डा. अरविंद नेत्र पाण्डेय, समाजसेवी अरुण कुमार सिंह, डा. प्रदीप श्रीवास्तव, डा. सानंद सिंह, डा. निशा राघव, डा. अखिलेश राय, वीरेंद्र राय, अरविंद उपाध्याय आदि की भागीदारी रही। स्वागत डा. जैनेन्द्र पाण्डेय, संचालन डॉ. प्रमोद शंकर पाण्डेय तथा आभार प्रकाश कुलसचिव संजय कुमार ने किया। 


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