पीडीडीयू जंक्शन से रवाना हुई दो इंजन की पुल-पुश ट्रेन,130 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ी राजधानी एक्सप्रेस
रेलवे ने एलएचबी कोच (लाल बोगी) युक्त राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों को दो इंजन के साथ पुल-पुश सिस्टम से संचालित करने की योजना पर अमल शुरू कर दिया है।
चंदौली, जेएनएन। रेलवे ने एलएचबी कोच (लाल बोगी) युक्त राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों को दो इंजन के साथ पुल-पुश सिस्टम से संचालित करने की योजना पर अमल शुरू कर दिया है। ट्रायल के तौर पर रविवार को 22 कोच की खाली ट्रेन को जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या दो से रवाना किया गया। इसमें पीछे भी अतिरिक्त इंजन लगाया गया था। मंडल रेल प्रबंधक पंकज सक्सेना ने परिचालन विभाग की टीम के साथ ट्रेन का निरीक्षण किया और लोको चालकों से बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाया। बताया ट्रेन 130 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से गया स्टेशन से होते हुए हावड़ा तक जाएगी। इस दौरान सबकुछ दुरुस्त मिला तो राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन इसी व्यवस्था के तहत कराया जाएगा।
रेल मंत्रालय ने यात्रियों का सफर सुगम बनाने और बेहतर सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से एलएचबी कोच युक्त ट्रेनों को दो इंजनों के साथ पुश-पुल सिस्टम से संचालित करने का निर्णय लिया है। आगे और पीछे लगे इंजन जंपर केबल के जरिए एक दूसरे से जुड़े रहेंगे। लाभ यह होगा कि चालू होने के कुछ ही सेकेंड में ट्रेन अपनी अधिकतम गति पकड़ लेगी। इसका फायदा यात्रियों को समय बचत के रूप में मिलेगा। सफर के दौरान ट्रेन का मुख्य इंजन खराब होने की दशा में परिचालन प्रभावित नहीं होगा। एक समय में चालक दोनों को नियंत्रित कर सकेगा। महकमे ने रविवार को अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए खाली पुल-पुश ट्रेन जंक्शन से रवाना की। डीआरएम पंकज सक्सेना ने ट्रेन के आगे और पीछे लगे इंजनों का निरीक्षण किया और परिचालन विभाग के अधिकारियों से पूरी जानकारी प्राप्त की। बताया कि ट्रेन गया से होते हुए हावड़ा तक जाएगी। इस दौरान इसकी अधिकतम गति 130 किमी प्रतिघंटा रहेगी। रेलवे निकट भविष्य में ट्रेनों को 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ाने की योजना पर काम कर रही। इस दौरान स्टेशन निदेशक हिमांशु शुक्ला सहित अन्य रेल अधिकारी मौजूद रहे।
इस तरह काम करेगा पुल-पुश सिस्टम
एलएचबी कोच वाली राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन के आगे और पीछे सफेद डब्ल्यूएपी-7 और डब्ल्यूएपी-5 इंजन लगाए जाएंगे। दोनों जंपर केबल के जरिए एक दूसरे से जुड़े रहेंगे। मुख्य इंजन संचालित करने वाले चालक एक साथ दोनों को नियंत्रित कर सकेंगे। दो इंजन लगने से ट्रेन चालू होते ही गति पकड़ लेगी। सिस्टम के जरिए दोनों तरफ से प्रेशर काम करेगा। इंजन बदलने की दशा में शंटिंग, प्रेशर तैयार करने की झंझट समाप्त हो जाएगी। यदि परिचालन के दौरान ही मुख्य इंजन में किसी तरह की खराबी आ जाती है तो चालक दल के सदस्य बैठे-बैठे ही पीछे के इंजन से काम ले सकेंगे। इस तरह से कम समय में ही यात्री गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।