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धनतेरस और धन्‍वंतरि जयंती इस बार दो दिन, 26 को ही नरक चतुर्दशी संग हनुमान जयंती का भी योग

सनातन धर्म में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीया यानी पांच दिनों तक चलने वाले प्रकाश पर्व का श्रीगणेश धन तेरस से होकर यम द्वितीया तक चलता है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 22 Oct 2019 10:03 AM (IST)Updated: Wed, 23 Oct 2019 08:20 AM (IST)
धनतेरस और धन्‍वंतरि जयंती इस बार दो दिन, 26 को ही नरक चतुर्दशी संग हनुमान जयंती का भी योग
धनतेरस और धन्‍वंतरि जयंती इस बार दो दिन, 26 को ही नरक चतुर्दशी संग हनुमान जयंती का भी योग

वाराणसी [प्रमोद यादव] । सनातन धर्म में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीया यानी पांच दिनों तक चलने वाले प्रकाश पर्व का श्रीगणेश धन तेरस से होकर यम द्वितीया तक चलता है। प्रकाश पर्व का प्रथम दिन कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी 25 अक्टूबर को पड़ रही है। त्रयोदशी तिथि इस दिन शाम 4.32 बजे लग रही है जो 26 अक्टूबर को दिन में 2.08 बजे तक रहेगी। ऐसे में इस बार धनतेरस 25 अक्टूबर को व धनवंतरि जयंती 26 अक्टूबर को होगी। 

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कारण यह कि शास्त्रों में यमराज के भय से मुक्ति के निमित्त कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी पर प्रदोष काल में यम के निमित्त दीपदान का भी महत्व बताया गया है। भगवान धनवंतरि का प्राकट्य पूर्वाह्न में होने से इसे दूसरे दिन 26 अक्टूबर को मनाया जाएगा और दोनों पर्व अलग-अलग पड़ रहे हैैं। 

ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार 26 अक्टूबर को धनवंतरि जयंती के साथ ही सायंकाल चंद्रोदय व्यापिनी कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी में नरक चतुर्दशी व मेष लग्न में हनुमत् जयंती मनाई जाएगी। 

धनतेरस पर सायंकाल यमराज को प्रसन्न करने के लिए घर के द्वार पर पांच बत्तियों वाला दीपदान का विधान है। दीप पर्व पर यम को दो दिन धनतेरस व यम द्वितीया पर स्मरण किया जाता है। इसमें यम के निमित्त दीपदान से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है, जीवन निरोगी भी बना रहता है। 

धन त्रयोदशी पर लोकाचार में सोना-चांदी, गहना-बर्तन आदि क्रय कर लक्ष्मी-गणेश, कुबेर आदि का रात्रि में पूजन किया जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन में जिस प्रकार कलश के साथ महामाया लक्ष्मी का अवतरण हुआ। उसी के प्रतीक स्वरूप ऐश्वर्य वृद्धि के लिए सोना-चांदी, गहना- बर्तन खरीदने की परंपरा चली आ रही है। 

 

मय पूजन : धनतेरस पर ही मय के पूजन की भी परंपरा है। लंकापति के श्वसुर कश्यप ऋषि के पुत्र मय की गणना महान शिल्पियों में की जाती है। लंका के विशिष्ट भवनों का निर्माण मय के द्वारा कराया गया था। महाभारत काल में भूमि पर जल और जल पर भूमि का भ्रम देने वाला महल भी मय द्वारा ही निर्मित था। व्यक्ति का महत्व व उसका सम्मान उसके ज्ञान व कर्म के आधार पर होता है। इसी शाश्वत मौलिक आदर्श के प्रति स्वरूप दीप पर्व महोत्सव के प्रथम दिन अर्थात धन तेरस पर ही इसी आदर्श का प्रतिबिंब मय के नाम एक दीप जलाकर शिल्प एवं शिल्पकार को सम्मान देने की परंपरा है।  

धनतेरस : लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त  

दिन में : 2.14 से 3.45 बजे तक 

शाम को : 6.50 से 8.40 बजे तक 

दीपावली 27 अक्टूबर को 

दीप ज्योति पर्व का मुुख्य उत्सव दीपावली कार्तिक अमावस्या पर 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी। लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त स्थिर लग्न वृष 6.46 से 8.42 बजे रात तक होगा। 


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