देवोत्थानी एकादशी पर बांटे तुलसी के पौधे, कोरोना मुक्ति की कामना से शालिग्राम और तुलसी पूजन
तुलसी के औषधीय गुण और इम्यूनिटी के लिए बेहतर होने की वजह से काशी में तुलसी पौधे का वितरण भी किया गया। इस मौके पर नमामि गंगे ने देवोत्थान एकादशी पर भगवती तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह व आरती कर कोरोना से मुक्ति की कामना की।
वाराणसी, जेएनएन। शहर में एक ओर देवोत्थानी एकादशी पर तुलसी विवाह की परंपरा का निर्वहन किया गया वहीं तुलसी के औषधीय गुण और इम्यूनिटी के लिए बेहतर होने की वजह से काशी में तुलसी पौधे का वितरण भी किया गया।
इस मौके पर नमामि गंगे ने देवोत्थान एकादशी पर भगवती तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह व आरती कर कोरोना से मुक्ति की कामना की। पंचगंगा घाट पर बड़ी तादाद में श्रद्धालुओं ने तुलसी के पौधे लेकर पुण्यलाभ लिया। पर्यावरण संरक्षण एवं गंगा स्वच्छता हेतु सभी संकल्पित हुए। सदस्यों ने गंगा तट पर श्रद्धालुओं द्वारा की गई गंदगी को एकत्र किया तथा लोगों को गंदगी न करने के लिए प्रेरित किया।
इस दौरान श्री हरि भगवान विष्णु का तुलसी से विवाह संपन्न कराकर आरती उतारी गई। संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि देवोत्थान एकादशी का पर्व हमें धर्म के साथ कर्म का अवसर प्रदान करता है। भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागने का यह पर्व एक प्रकार से अपने कर्तव्यों व दायित्वों के प्रति जागने और जगाने का पर्व है। भगवान के जागने से सृष्टि में सकारात्मक शक्तियों का संचार होने लगता है।
तुलसी पूजन की परंपरा भी वैज्ञानिक पक्ष को ही पुष्ट करती है। कफ जनित रोगों के शमन में तुलसी रामबाण जैसा असर रखती है। इस मौसम विशेष में तुलसी का सेवन सर्वाधिक लाभकारी माना गया है। इस दौरान प्रमुख रूप से काशी प्रांत के संयोजक राजेश शुक्ला, महानगर संयोजक शिवदत्त द्विवेदी, सहसंयोजक शिवम अग्रहरि, रामप्रकाश जायसवाल, प्रीति जायसवाल, सत्यम जयसवाल, सारिका गुप्ता, रश्मि साहू, सीता साहू, स्वाति जायसवाल, रूपा जायसवाल और परी जायसवाल आदि ने भाग लिया ।