शहर के अंदर सरिया लदे ट्रक मतलब हादसे का लाइसेंस, बरतें अतिरिक्त सावधानी
सरिया लदे ट्रक और ट्रैक्टर हादसे को खुले न्यौते के बराबर होते हैं। बदलते मौसम के दौरान ठंड में आसमान से गिरने वाला कोहरा कभी आसमान से मौत के गिरने के बराबर होता है।
वाराणसी (जेएनएन) । सड़क पर अनियंत्रित रफ्तार दुर्घटना का मुख्य कारण होती है। लेकिन हादसों को दावत देने वाले कुछ कारण भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। इनमें सरिया लदे ट्रक और ट्रैक्टर हादसे को खुले न्यौते के बराबर होते हैं। बदलते मौसम के दौरान ठंड में आसमान से गिरने वाला कोहरा कभी आसमान से मौत के गिरने के बराबर होता है।
शहर के अंदर रखें चौकस निगाहें : अमूमन राजमार्ग की तुलना में शहर के अंदर कोहरा उतना घना नहीं होता लेकिन आगे कुछ न दिखे इतना तो होता ही है। रिहायश के चलते आपकी गाड़ी के आगे क्या आ सकता है इसके लिए पूरी सजगता बरतना ही एकमात्र उपाय है।
ये चलते हैं मौत की गारंटी लेकर : शहर के अंदर या बाहर खड़े या चलते हुए सरिया लादे ट्रक और ट्रैक्टर साक्षात मौत की गारंटी लेकर चलते हैं।
क्या कहता है कानून : उच्चतम न्यायालय ने 2016 में सरिया लदे ट्रकों के खिलाफ पूर्ण रूप से पाबंदी लगा रखी है। वर्ष 2016 से बीते 2 वर्षों में ऐसे ट्रकों के कारण हुई 40000 से अधिक मौतें इस निर्णय का हवाला बनीं। यह फैसला सड़क सुरक्षा पर काम करने वाली संस्था सेव लाइफ फेडरेशन की जनहित याचिका पर सुनाया गया था।
सरिया को मोड़कर रखने का नहीं होता अनुपालन : हादसों को टालने के लिए सरिया को मोड़कर रखा जा सकता है लेकिन इसका पालन निर्माण सामग्री विक्रेता करना नहीं चाहते। लंबी लारी से इसको भेजना काफी महंगा सौदा साबित होता है। इसको लेकर प्रतिबंध तो है लेकिन पकड़े जाने के वक्त मात्र कुछ रुपयों का चालान ऐसे ट्रक चालकों को मौत लेकर घूमने का लाइसेंस दे देता है।
शहर में बदला गया है रूट : ट्रकों पर लगी समय बद्ध पाबंदी के अलावा एएसपी ट्रैफिक सुरेश चंद्र रावत ने सरिया लदे ट्रकों और टै्रक्टरों के खिलाफ अभियान छेड़ रखा है। इसको लेकर बीते दिनों निर्माण सामग्री लादने वाले ट्रकों के समय व रूट में परिवर्तन किया गया था।