प्रयागराज में लगने वाले कुंभ में होगा देशभर के आदिवासी-जनजातियों का संगम
प्रयागराज में लगने वाले कुंभ में इस बार कई ऐतिहसिक आयोजन किए जा रहे हैं। प्रवासी भारतीयों के जुटान के साथ ही यहां देशभर के आदिवासी-जनजातियों का भी संगम होगा।
सोनभद्र, [आनंद स्वरूप]। प्रयागराज में लगने वाले कुंभ में इस बार कई ऐतिहसिक आयोजन किए जा रहे हैं। प्रवासी भारतीयों के जुटान के साथ ही यहां देशभर के आदिवासी-जनजातियों का भी संगम होगा। फरवरी माह में 12 से 14 तक तीन दिन देशभर के राज्यों में फैली आदिवासी-जनजातियों के प्रमुख पुजारियों के साथ ही पारंपरिक नृत्य-कला में पारंगत कलाकारों को यहां बुलाया गया है। संगम तट पर हिंदू समाज के धर्म गुरुओं के साथ उनकी धर्म-संस्कृति के बारे चर्चा होगी। इसके साथ ही पूजा-पद्धति पर भी विचार-विमर्श करने के साथ ही उनको कुंभ में शाही स्नान भी कराया जाएगा।
देश के 28 राज्यों में आदिवासी-जनजातियों के लोग निवास करते हैं। जिनका रहन-सहन अधिकांश जंगलों में होने के कारण वे अपने को समाज से कटा महसूस करते हैं। ऐसे में उनकी पूजा पद्धति भी कुछ भिन्न है। कुछ तो समाज की मुख्य धारा से भी नहीं जुड़ सके हैं। ऐसे में उनकी स्थिति को देखकर दूसरे समाज के लोग उनको तरह-तरह का प्रलोभन देकर हिंदू धर्म संस्कृति से भरमाने का काम कर रहे हैं। इससे आदिवासी समाज अपने को अलग-थलग समझने लगा है, जबकि उनका काफी कुछ हिंदू समाज से मिलता है। जिसे देखते हुए सेवा समर्पण संस्थान उनको हिंदू समाज की रीतियों-नीतियों से जोडऩे के लिए लगातार काम कर रहा है। संस्थान के सह संगठन मंत्री आनन्दजी ने बताया कि इसी क्रम में प्रयागराज में लगने वाले कुंभ में जंगल-पहाड़ों पर रहने वाले आदिवासी समाज के संतों को प्रमुख अखाड़ों के साथ शाही स्नान की व्यवस्था बनाई गई है।
इसके साथ ही कुंभ स्थल पर संस्थान का कैंप लगाकर पूर्वांचल के सोनभद्र, मीरजापुर व चंदौली के आदिवासी समाज के पचास हजार लोगों के स्थान की व्यवस्था की गई है। जिससे ये लोग हिंदू-धर्म संस्कृति के साथ ही पूजा पद्धति से भलीभांति अवगत हो सकें। इसके साथ ही कुंभ के प्रमुख स्नान पर्वों की समाप्ति के बाद देश के 28 राज्यों में फैली जनजातियों के पुजारियों व समाज के नृत्य कला में पारंगत कलाकारों व हिंदू समाज के प्रमुख संतों के साथ सम्मेलन का आयोजन 12 से 14 फरवरी तक तीन दिन किया गया है। इसमें उन्हें ङ्क्षहदू धर्म संस्कृति से अवगत कराने के साथ ही सनातन धर्म से भी जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही उनकी नृत्य कला का भी प्रदर्शन होगा। जिससे इस समाज को लोग बरगला न सकें और इनमें हिंदू धर्म के प्रति आस्था जागृत हो।