कैंसर मरीजों को आयुर्वेद दे रहा दर्द रहित जीवन, इलाज के भी अब बदल रहे तौर तरीके
वाराणसी स्थित बीएचूय अस्पताल में कैंसर के मरीजों का आयुर्वेद के जरिए दर्दरहित इलाज किया जा रहा है। इससे पीड़ित मरीजों को राहत मिल रही है।
वाराणसी, जेएनएन। कैंसर के दुष्प्रभाव को झेलना आम इंसान के लिए काफी दुरूह है। मर्ज के साथ ही इसका इलाज भी काफी तकलीफदेह है। इसके कम करने की दिशा में बीएचयू का आयुर्वेद विभाग लंबे समय से कार्यरत है। शल्यक्रिया, कीमोथेरेपी व रेडियोथेरेपी कैंसर की आधुनिक प्रचलित चिकित्सा विधि है, इसके दुष्प्रभावों से इन्कार नहीं किया जा सकता है। बावजूद इसके रोग के जड़ से खत्म होने की कोई गारंटी नहीं। करीब एक दशक से इलाज के बाद होने वाली शारीरिक दिक्कतों को आयुर्वेदिक विधि से कम किया जा रहा है। यह विधि जहां दर्द में राहत दे रही है, वहीं कैंसर के फैलाव को रोकने में भी कारगर है।
2007 से जारी है इलाज : बनारस में कैंसर को लेकर जमीनी स्तर पर करीब एक वर्ष तक सर्वेक्षण किया गया। वर्ष 2007 में सरसुंदरलाल हॉस्पिटल स्थित रेडियोथिरेपी के प्रो. यूपी शाही के साथ मिलकर आयुर्वेद संकाय के संज्ञाहरण विभाग के प्रो. केके पांडेय ने काम शुरू किया। अब तक करीब 500 मरीजों का उपचार किया जा चुका है। 147 मरीज जुलाई 2017 से शुरू विभाग की ओपीडी में पंजीयन करा चुके हैं, जिनका इलाज भी जारी है।
प्रचलित औषधियां : बल्य, वेदनाहर, निद्राकर, अवसादहर, शोथहर, पाचक, दीपन, विरेचक, ब्रजरोपक, मूत्रल, रक्तस्कंधक, कैंसर रोधक आदि औषधियां प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के साथ ही विकारों को कम करने के लिए निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। हम कैंसर को समूल नष्ट करने का दावा बिल्कुल नहीं करते, लेकिन रोगी की आधुनिक चिकित्सा के बाद होने वाली शरीरिक दिक्कतों को कम करने में आयुर्वेदिक औषधियां बहुत ही कारगर हैं। - प्रो. केके पांडेय (संज्ञाहरण विभाग, आयुर्वेद संकाय-बीएचयू)।