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Cancer की ट्रांस ओरल वीडियो असिस्टेड सर्जरी की शुरुआत, वाराणसी के दो अस्पतालों में सुविधा

प्रदेश में न केवल पहली बार कैंसर की ट्रांस ओरल वीडियो असिस्टेड सर्जरी (टोवास) की शुरुआत हुई बल्कि तीन मरीजों को इससे नया जीवन भी मिला। अस्पताल में तीन सर्जरी इस विधा से की जा चुकी है। सर्जरी के बाद से सभी मरीजों की स्थिति में सुधार हो रहा है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 05:20 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 09:33 AM (IST)
Cancer की ट्रांस ओरल वीडियो असिस्टेड सर्जरी की शुरुआत, वाराणसी के दो अस्पतालों में सुविधा
होमी भाभा कैंसर अस्पताल में टोवास सर्जरी करते सर्जन डा. असीम मिश्र व उनकी टीम।

वाराणसी, जेएनएन। प्रदेश में न केवल पहली बार कैंसर की ट्रांस ओरल वीडियो असिस्टेड सर्जरी (टोवास) की शुरुआत हुई, बल्कि तीन मरीजों को इससे नया जीवन भी मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में कैंसर मरीजों को आधुनिक तकनीक से इलाज देने के क्रम में होमी भाभा कैंसर अस्पताल (एचबीसीएच) एवं महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर (एमपीएमएमसीसी) में टोवास की शुरुआत की गई है। लहरतारा स्थित होमी भाभा कैंसर अस्पताल में 26 अक्टूबर को 45 वर्षीय एक महिला की सर्जरी इस तकनीक से की गई। अब तक अस्पताल में कुल तीन सर्जरी इस विधा से की जा चुकी है। सर्जरी के बाद से सभी मरीजों की स्थिति में सुधार हो रहा है।

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क्या है टोवास विधि

गले के कैंसर के इलाज में टोवास एक बेहद ही आधुनिक विधि है, जिसमें ट्यूमर को निकालने के लिए ओपन सर्जरी की जरूरत नहीं होती। साथ ही जख्म भरने में भी बेहद कम समय लगता है। यह एक तरह की दूरबीन विधि सर्जरी है, जिसमें गले के अंदर कैमरा डाला जाता है और स्क्रीन पर देखते हुए डाक्टर सर्जरी करते हैं। गले में स्थित फैरिक्स (ग्रसनी), पैराफैरेंजियल स्पेस एवं हाइपोफैरिक्स में होने वाले ट््यूमर को निकालने में टोवास बहुत की कारगर विधि है। इन जगहों पर होने वाले कैंसर को टोवास के जरिए आपरेट करने में एक तरफ जहां जबड़े को काटने की जरूरत नहीं होती, वहीं गले पर सर्जरी का किसी तरह का कोई निशान भी नहीं आता।

गुणवत्तापरक इलाज है लक्ष्य

डा. असीम मिश्र के मुताबिक अस्पताल में हुई टोवास सर्जरी संभवत: उत्तर प्रदेश में अपनी तरह की पहली सर्जरी है। हालांकि कुछ अन्य अस्पतालों में रोबोटिक तरीके से सर्जरी की जाती है।

...ताकि बाहर न जाना पड़ा

सर्जिकल ओंकोलाजी विभाग के प्रमुख डा. दुर्गातोश पांडेय ने कहा कि भविष्य में इस तरह की अन्य आधुनिक तकनीक की शुरुआत भी की जाएगी। इससे अधिक से अधिक कैंसर मरीजों को लाभ मिल सकेगा और इलाज के लिए उन्हें बनारस से बाहर नहीं जाना पड़ेगा।


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