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वाराणसी - प्रयागराज रेलखंड पर ट्रेनों को जल्द मिलेगी रफ्तार, झूंसी - दारागंज ब्रिज निर्माण को सेना से मिली भूमि

इस रूट पर प्रतावित दोहरीकरण व विद्युतीकरण परियोजना के तहत हो रहे निर्माण कार्य धीमा हो गया था। दरअसल पूर्वोत्तर रेलवे की दोहरीकरण की योजना में झूंसी से दारागंज के बीच पुराने रेल पुल से जोड़ते हुए नया पुल बनाना है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 11:32 AM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 11:32 AM (IST)
वाराणसी - प्रयागराज रेलखंड पर ट्रेनों को जल्द मिलेगी रफ्तार, झूंसी - दारागंज ब्रिज निर्माण को सेना से मिली भूमि
पूर्वोत्तर रेलवे की दोहरीकरण में झूंसी से दारागंज के बीच पुराने रेल पुल से जोड़ते हुए नया पुल बनाना है।

जागरण संवाददाता। बनारसी - प्रयागराज रेलखंड दोहरीकरण व विद्युतीकरण परियोजना जल्द मूर्तरूप लेगी। झूंसी- दारागंज बीच पुराने पुल के समानांतर नए ब्रिज निर्माण के लिए सेना की जमीन के लिए मंजूरी मिल गई है। इसके लिए रेलवे प्रशासन को लंबा इंतजार करना पड़ा था। वहीं, इस रूट पर प्रतावित दोहरीकरण व विद्युतीकरण परियोजना के तहत हो रहे निर्माण कार्य धीमा हो गया था। दरअसल, पूर्वोत्तर रेलवे की दोहरीकरण की योजना में झूंसी से दारागंज के बीच पुराने रेल पुल से जोड़ते हुए नया पुल बनाना है।

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दारागंज की ओर रहने वाली आबादी और आवासीय निर्माण में कोई असर न पड़े इसके लिए आरवीएनएल ने पुराने पुल से नए पुल की दूरी 120 मीटर दूर रखी। झूंसी साइड में दोनों पुल के बीच की दूरी 55 मीटर है। दारागंज साइड में परेड ग्रांउड से होते हुए इस पुल को रामबाग रेल लाइन से मिलाया जाना है। ऐसे में रेलवे को परेड की जमीन की जरूरत पड़ी। यह जमीन रक्षा विभाग की है। मामला फंसा तो प्रशासन, रक्षा विभाग और रेलवे अधिकारियों ने मीटिंग कर मुद्दा उठाया। सेना की तरफ से अनुमति नहीं दी जा रही थी। लंबे इंतजार के बाद अब सेना जमीन देने के लिए तैयार हो गई है। ऐसे में पुल निर्माण में अब कोई बाधा नहीं आएगी और निर्माण कार्य में भी तेजी आ जाएगी।

दूसरे चरण का कार्य शुरू: बजट सत्र 2015- 16 में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने बनारस - प्रयागराज दोहरीकरण व विद्युतीकरण परियोजना का ऐलान किया था। 382.78 करोड़ की लागत से इसे मूर्तरूप दिया जाएगा। पहले चरण में बनारस (मंडूआडीह) से माधोसिंह तक काम पूरा हो चुका है। दूसरे चरण में भी 30 फीसदी काम पुरा होने वाला है। 27 अक्टूबर 2020 से शुरू दूसरे चरण को 36 महीने के अंदर पूरा करने का लक्ष्य है। दोहरीकरण कार्य का शिलान्यास रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा ने 24 अक्तूबर, 2016 को किया था। बीच में खनन पर रोक का असर काम पर पड़ा। गिट्टी और मोरम न मिलने के कारण काम सुस्त रहा। अब काम में तेजी आई है।

सिंगल रूट पर रोज 27 गाड़ियां : मंडुवाडीह-इलाहाबाद सिंगल रूट पर इस समय यात्री और मालगाड़ी को मिलाकर कुल 27 ट्रेनें रोज आती-जाती हैं। इसमें शिवगंगा एक्सप्रेस, नई दिल्ली-मंडुवाडीह सुपरफास्ट, पवन एक्सप्रेस, सिकंदराबाद एक्सप्रेस, चौरीचौरा एक्सप्रेस, बापूधाम एक्सप्रेस, लिच्छवी एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण गाड़ियां भी हैं। सिंगल रूट होने के चलते कई बार कॉशन लेना पड़ता है। दोहरीकरण के बाद गाड़ियों की गति तेज होगी। साथ ही इस रूट पर और गाड़ियां बढ़ाई जा सकेंगी।


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