Satellite Station से कम होगा वाराणसी कैंट से ट्रेनों का दबाव, घंटों आउटर पर खड़ी रहतीं ट्रेनें
सिटी रेलवे स्टेशन को सेटेलाइट स्टेशन के तौर पर विकसित करने के लिए ये कार्य कराए गए हैं। सामान्य दिनों में कैंट स्टेशन से 120 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। प्लेटफार्म खाली नहीं होने से आउटर पर ट्रेनें खड़ी रहतीं हैं।
वाराणसी, जेएनएन। पर्यटन के लिहाज से प्रमुख शहरों में शुमार वाराणसी के सिटी रेलवे स्टेशन पर विकास कार्य करीब-करीब पूरा हो चुका है। जिससे कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। सिटी रेलवे स्टेशन को सेटेलाइट स्टेशन के तौर पर विकसित करने के लिए ये कार्य कराए गए हैं। सामान्य दिनों में कैंट स्टेशन से 120 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं। प्लेटफार्म खाली नहीं होने से आउटर पर ट्रेनें खड़ी रहतीं हैं। इसलिए कैंट से बनकर मुंबई, दिल्ली व कोलकाता के लिए जाने वाली ट्रेनों को सिटी सेटेलाइट स्टेशन से चलाया जाएगा।
38 करोड़ रुपये किए गए खर्च
सेटेलाइट स्टेशन बनाने के लिए 38.1 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कार्य कराए गए हैं। बनारस का यह ऐसा दूसरा स्टेशन होगा जो सेटेलाइट बनाया जाएगा। मंडुआडीह स्टेशन भी सेटेलाइट स्टेशन के तौर पर विकसित हो चुका है। प्लेटफार्म नंबर दो व तीन बनकर तैयार है। बुकिंग आफिस-वेटिंग हाल का विस्तार हुआ है।
प्लेटफार्म व सुविधाओं का विस्तार
कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का दबाव कम करने के लिए मंडुआडीह और सिटी को सेटेलाइट स्टेशन बनाने के साथ दोनों पर प्लेटफार्म और यात्री सुविधाओं में विस्तार किया गया है। सिटी रेलवे स्टेशन पर 550 मीटर लंबा एक होम प्लेटफार्म, वाशेबल एप्रन, एक और फुट ओवरब्रिज, वाशिंग पिट, सिक लाइन, शेड व स्टैबलिंग लाइन बनाई जानी है। इसके अलावा सिटी रेलवे स्टेशन पर रिटायरिंग रूम और डोरमेट्री की सुविधा भी मिलेगी। कैंट और मंडुआडीह की तर्ज पर सिटी स्टेशन पर वीआइपी लाउंज प्रस्तावित है। इसके अलावा एक पे एंड यूज टायलेट का निर्माण कराया जा रहा है।
शिवपुर व लोहता का भी विकास
सेटेलाइट स्टेशन के तौर पर शिवपुर व लोहता स्टेशन को भी विकसित किया जा रहा है। दोनों स्टेशन उत्तर रेलवे, लखनऊ मंडल के अधीन हैं। इनको मंडुआडीह से जोडऩे के लिए अलग ट्रैक बनाया गया है जिस पर ट्रायल पूरा हो गया है। वाराणसी सिटी से कैंट स्टेशन होते मंडुआडीह तक अलग से ट्रैक बिछाने का कार्य हो रहा है।