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मकर संक्रांति पर काशी के मंदिरों में खिचड़ी खिलाने की पंरपरा, खिचड़ी बाबा व विश्‍वनाथ मंदिर में होगा विशेष आयोजन

धर्म की नगरी काशी में खिचड़ी और उसके स्वाद का रिश्ता पुराना है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर के साथ ही कई मंदिरों में खिचड़ी उत्सव मनाने की तैयारी हो रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 01:59 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 09:11 PM (IST)
मकर संक्रांति पर काशी के मंदिरों में खिचड़ी खिलाने की पंरपरा, खिचड़ी बाबा व विश्‍वनाथ मंदिर में होगा विशेष आयोजन
मकर संक्रांति पर काशी के मंदिरों में खिचड़ी खिलाने की पंरपरा, खिचड़ी बाबा व विश्‍वनाथ मंदिर में होगा विशेष आयोजन

वाराणसी, जेएनएन। धर्म की नगरी काशी में खिचड़ी और उसके स्वाद का रिश्ता पुराना है।  यहां काशी विश्वनाथ मार्ग अर्थात विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने स्थित खिचड़ी बाबा मंदिर पर हर दिन खिचड़ी  खिलाई जाती है। वहीं बाबा विश्वनाथ को मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग चढ़ाया जाता है तो दूसरी तरफ बाबा लाट भैरव के विवाहोत्सव के दूसरे दिन खिचड़ी उनके भक्तों में वितरित की जाती है। मकर संक्रांति पर्व पर खिचड़ी उत्सव की धूम होती है। काशी विश्‍वनाथ मंदिर के साथ ही कई मंदिरों में खिचड़ी उत्सव मनाने की तैयारी हो रही है। मंगलवार को दशाश्वमेध स्थित खिचड़ी बाबा मंदिर पर मारवाड़ी युवा मंच अन्नपूर्णा शाखा द्वारा गरीबों को खिचड़ी वितरण किया गया। मकर संक्रांति का मान्‍य बुधवार को होने के कारण कल खिचड़ी भोग प्रसाद का खास तौर से वितरण भक्‍तों में किया जाएगा।

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मकर संक्रांति पर बाबा खाएंगे खिचड़ी

मकर संक्रांति पर जब सूर्यदेव उत्तरायण होंगे भक्तों के साथ भोले बाबा भी खिचड़ी खाएंगे। पर्व विशेष पर उनके लिए मंदिर के भोग-भंडारे में विधि- विधान से खिचड़ी पकाई जाएगी। मध्याह्न भोग आरती में उन्हें इसी का  भोग लगाया जाएगा। इसे प्रसाद स्वरूप भक्तों में वितरित किया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार में खिचड़ी भोग की परंपरा पिछले साल शुरू की गई थी। इस साल भी पांच क्विंटल खिचड़ी पकाने की तैयारी है। मंदिर के अन्नक्षेत्र में पहले से ही नित्य खिचड़ी खिलाई जा रही है। पर्व विशेष पर इसका सुबह से शाम तक वितरण किया जाएगा। केदारघाट स्थित गौरी केदारेश्वर मंदिर में गत वर्ष दस क्विंटल खिचड़ी का भोग लगाकर उसे भक्तों में बांटा गया। इस मंदिर का मकर संक्रांति के साथ पुराना नाता रहा है। गौरी केदारेश्वर स्वयंभू शिवलिंग को देखने पर प्रतीत होता है कि कच्ची खिचड़ी दो भागों में बांटकर रखी गई है। इस मौके पर खासतौर पर बड़ी संख्या में दक्षिण भारतीय श्रद्धालु पहुंचते हैं।



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