वाराणसी में अब पर्यटक ले सकेंगे जंगल सफारी का आनंद, जापान के मियावाकी तकनीक से उंदी में विकसित किया जाएगा जंगल
वाराणसी शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर उंदी गांव में इको टूरिज्म के लिहाज से प्राकृतिक जंगल विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए गए हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन के अनुसार इसके लिए प्रस्ताव बनाकर पर्यटन विभाग के पास भेजा गया है।
वाराणसी, जेएनएन। धर्म-अध्यात्म व पर्यटन की नगरी में प्रकृति प्रेमी सैलानियों को घूमने-टहलने का नया स्थान मिलने जा रहा है। यहां पिंडरा क्षेत्र के उंदी में पर्यटक जंगल सफारी का आनंद ले सकेंगे। इसे जापान की मियावाकी तकनीक से विकसित किया जा रहा है। इससे प्रकृति प्रेमियों को अपने ही शहर में जंगल का भरपूर आनंद मिल पाएगा । इसमें वेट लैंड भी विकसित किया जाएगा और पर्यावरण संरक्षित करते हुए ईको टूरि•ा्म को बढ़ावा दिया जाएगा।
शहर से लगभग 15 किलोमीटर दूर उंदी गांव में इको टूरिज्म के लिहाज से प्राकृतिक जंगल विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए गए हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन के अनुसार इसके लिए प्रस्ताव बनाकर पर्यटन विभाग के पास भेजा गया है। प्रस्तावित वन क्षेत्र वाराणसी से जौनपुर मुख्य मार्ग से गा•पुर रोड को जोडऩे वाले रिंग रोड बाईपास से करीब छह किलोमीटर दूर है। इस क्षेत्र में लगभग 36.225 हेक्टेयर में नेचुरल फारेस्ट विकसित किया जाएगा। लगभग 4.3 किलोमीटर की फेंसिंग का काम शुरू हो चुका है, जो जुलाई तक पूरा हो जाएगा।
खास यह कि जंगल सफारी प्रकृति प्रेमियों के लिए ईको टूरिज्म या वैकल्पिक टूरिज्म के लिहाज से पहली जगह होगी। बांस के वृक्षों की नेचुरल फेंसिंग के बीच जंगल का प्राकृतिक रूप ऐसा होगा कि प्राकृतिक सौंदर्य का पूरा आनंद लिया जा सकेगा। यहां पहले से मौजूद छह तालाबों को विकसित किया जा रहा है। यहां पर्यटकों को प्रवासी पक्षियों की चहक भी सुनाई देगी। इसके बीच नौकायन का आनंद लिया जा सकेगा। साईकिलिंग के लिए ट्रैक, पैदल पथ, वैटलैंड, बर्ड डाइवर्सिटी जोन, लकड़ी के पुलों से सजी प्राकृतिक झीलों के साथ लोटस पांड व पुष्प तालाब ठिठकने को विवश कर देंगे। फूलों की की बड़ी वाटिका में किस्म-किस्म के फूलों की सुंगंध बिखरेगी। हर्बल गार्डन भी खास होगा। वाच टावर पर बैठकर जंगल का नजारा लिया जा सकेगा। बर्ड वाॅकिंग प्वाइंट और नेचर फोटोग्राफी का भी अलग अहसास मिलेगा। पर्यटकों को योग करने के लिए खास जगह होगी, रोशनी के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग किया जायेगा। $फूड कोर्ट में बनारसी व्यंजनो का लुत्फ ले सकेंगे। इसमें दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों को काशी में सात दिनों तक रोका जा सकेगा।
जापान की मियावाकी तकनीक वनों के लिए वरदान
जापान की मियावाकी तकनीक से 10 गुना तेजी से पौधे विकसित होते हैं व 30 गुना ज्यादा घने जंगल बन जाते हैं। बायोडाइवर्स व ऑर्गनिक महत्व भी 100 गुना बढ़ जाता है। इस तकनीक में पानी का भी कम इस्तेमाल होता है। हवा की क्वालिटी अच्छी हो जाती है। मियावाकी तकनीक में पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जंगल का पूरा ईको सिस्टम विकसित होता है। पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी इस ईको सिस्टम में स्वत: ही आ जाते है। जापान के वनस्पति वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी के नाम पर इस तकनीक का नाम मियावाकी पड़ा है।