मीरजापुर में मौसम के बदले मिजाज से टमाटर के किसान परेशान, अधिक बारिश से होगी फसल चौपट
मौसम का रुख बुधवार को बदलने के बाद क्षेत्र में टमाटर की खेती करने वाले किसानों की मुश्किलें बढ़ गई। गेहूं के लिए जहां बारिश राहत है वहीं सब्जियों के लिए यह आफत साबित हो रही है।
मीरजापुर, जेएनएन। मौसम का रुख बुधवार को बदलने के बाद क्षेत्र में टमाटर की खेती करने वाले किसानों की मुश्किलें बढ़ गई। गेहूं के लिए जहां बारिश राहत है वहीं सब्जियों के लिए यह आफत साबित हो रही है। लगातार रुक रुक कर हो रही हल्की बारिश होने और पूरे दिन आसमान में बादल छाए रहने से टमाटर में चाभा (फलियों में लगने वाला रोग,जिसमे फलियां सड़ने लगती हैं) लगना तय माना जा रहा है। इस मुश्किल से निकलने के लिए विपरीत मौसम में बुधवार को टमाटर के किसानों ने कच्ची- पक्की फलियों को तोड़ना शुरू कर दिया है।
टमाटर की खेती में प्रति बीघा औसतन पंद्रह हजार की लागत आ जाती है, इसके साथ खेत का लगान औसतन दस से बारह हजार प्रति बीघा जोड़ने पर यह पच्चीस हजार से ज्यादा हो जाता है। वहीं अगेती फसल में रोग अधिक लगता है जिससे दवा का खर्च भी काफी बढ़ जाता है। इस समय मंडियों में टमाटर की कीमत बारह सौ रुपये प्रति कुंतल है। इसके पहले अधिकतम दो हजार रुपये तक कीमत थी। मेहनत की कमाई ठीक तरीके से मिले इसीलिए पूस की रात में हाड़ कपाती ठंड में भी छुट्टा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए पूरी रात निगरानी कर रहे किसानों को बारिश से फसलों को बचाने का कोई रास्ता नही सूझ रहा है।
बेबस और लाचार किसान इसी जद्दोजहद में बुधवार को दिन में आसमान से टपकती बूंदों के बीच टमाटर तोड़ता रहा। ऐसी स्थिति में मंडियों तक माल पहुचाने के लिए कैरेट की मारामारी भी काफी मची रही। सभी अधिक से अधिक कैरेट पाने की जुगत में मालवाहकों के मालिकों के पास चक्कर लगाते रहे। लक्षमण साहनी का कहना है कि यदि टमाटर नहीं तोड़ेंगे तो चाभा लग जाएगा। वैसे भी इस साल बरसात देर से होने और मौसम बिगड़ने से खेतों में नमी ज्यादा है जिसके चलते एक दो कैरेट टमाटर रोज सड़ जा रहा है।