Sonbhadra जिले में खेती का रकबा बढ़ाकर दलहनी फसलों की बढ़ाएंगे उत्पादकता
इस वजह से कई बार दालों का मूल्य इतना अधिक हो जाता है कि गरीबों की थाली से गायब होने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए रबी के सीजन में दलहनी फसलों की खेती का रकबा 33 फीसद तक बढ़ाया गया है।
सोनभद्र, जेएनएन। अक्सर दाल की कमी के कारण दूसरे देशों से मंगानी पड़ती है। इस वजह से कई बार दालों का मूल्य इतना अधिक हो जाता है कि गरीबों की थाली से गायब होने लगती है। इस समस्या को दूर करने के लिए रबी के सीजन में दलहनी फसलों की खेती का रकबा 33 फीसद तक बढ़ाया गया है। मसूर और मटर के रकबे में सबसे ज्यादा वृद्धि है। इस बार रबी सीजन की कुल खेती के रकबे में 7.29 फीसद की वृद्धि हुई है जबकि उत्पादन 9.41 फीसद तक बढ़ा होने का लक्ष्य कृषि विभाग मान रहा है।
कृषि विभाग के अधिकारी बताते हैं कि दाल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम हो रहा है। ऐसे में जब मौसम अच्छा मिला तो उत्पादन ज्यादा से ज्यादा होने की उम्मीद के साथ खेती का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है। गत वर्ष रबी सीजन में 100.116 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में खेती हुई थी। इस बार इसे बढ़ाकर 107.418 हेक्टेयर किया गया है। यानी कुल रकबे में 7.29 फीसद की वृद्धि हुई है। इस खेती से गत वर्ष जो 193.792 हजार टन हुआ था उसे इस वर्ष 212.038 हजार टन निर्धारित किया गया है। जिला कृषि अधिकारी पीयूष राय बताते हैं कि इस वर्ष समय से बारिश हुई इसलिए रबी सीजन के लिए मौसम अच्छा है। किसानों की सुविधा के लिए राजकीय बीज भंडारों पर बीज उपलब्ध करा दिया गया है। वह बीज लेकर बीज शोधन और भूमि शोधन करके खेती कर सकते हैं। उन्होंने वैज्ञानिक विधि से खेती करके अच्छा उत्पादन करने के लिए कहा। बताया कि जो लक्ष्य रखा गया है उस हिसाब से इस वर्ष 18 हजार टन ज्यादा उत्पादन जिले में होगा।
चना व जौ का घटा रकबा, मटर व मसूर का बढ़ा
रबी सीजन की खेती में जहां गेहूं की खेती का रकबा 60.343 हजार हेक्टेयर से बढ़ाकर 60.695 हजार हेक्टेयर किया गया है। यानी महज 0.58 फीसद की वृद्धि है। वहीं जौ का रकबा कम कर दिया गया है। गत र्वा 7.295 हजार हेक्टेयर था तो इस वर्ष 7.209 हो गया है। चना का भी रकबा घटकर 11.171 से घटकर 10.653 हजार हेक्टेयर रह गया है। मटर की खेती 3.736 की बजाय 5.002 हजार हेक्टेयर और 8.879 से बढ़कर 11.669 हजार हेक्टेयर में बोया जाना है। अलसी की खेती का रकबा 5.335 से बढ़ाकर 7.291 हजार हेक्टेयर कर दिया गया है।