वाराणसी में पुलवामा के शहीद रमेश के बेटे ने थामा तिरंगा, नम आंखों से निकाला तिरंगा मार्च
रमेश की शहादत को सलाम करने के लिए सुबह तिरंगा यात्रा तो शाम को कैंडिल मार्च निकाला गया। तिरंगा यात्रा में शहीद रमेश के साढ़े तीन के बेटे आयुष सबसे आगे रहा।
वाराणसी, जेएनएन। शहीद रमेश के गांव की सुबह आज कुछ अलग ही नजरा रहा। देश के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले रमेश की गौरवगाथा लोग भूल न जाएं, देशभक्ति से लबरेज गांव के युवा अपने भाई रमेश की शहादत को सलाम करने के लिए सुबह तिरंगा यात्रा तो शाम को कैंडिल मार्च निकाला जाएया। वहीं दोपहर में तिरंगा यात्रा में शहीद रमेश के साढ़े तीन के बेटा आयुष सबसे आगे रहा।
पुलवामा अटैक 14 फरवरी 2019 में तोहफापुर के शहीद रमेश यादव के शहादत दिवस पर शुक्रवार को शहीद रमेश यादव के घर से तिरंगा यात्रा निकालेंगे। प्राथमिक विद्यालय तोफापुर में श्रद्धांजलि सभा और गोष्ठी का आयोजन किया गया। बृजेश यादव व पूर्व ग्राम प्रधान सुक्खू की तरफ से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में रमेश के व्यक्तित्व पर चर्चा की गई। तोफापुर में शाम को गांव के लोग प्राथमिक विद्यालय से राहुल यादव मास्टर के नेतृत्व में शहीद मार्ग गोरिया तक कैंडल मार्च भी निकालेंगे। शहीद के पिता श्यामनारायण यादव ने बताया कि रमेश की मां राजमति, बहन सरोजा और बड़े भाई राजेश और रेनू के भाई राहुल नोएडा में एक आयोजन में गए हैं। शहीद रमेश की पत्नी घर पर ही रहकर पूजा की।
आजाद पार्क में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
हिंदू युवा वाहिनी के चंद्रशेखर आजाद मंडल के कार्यकर्ताओं ने पुलवामा अटैक की बरसी की पूर्व संध्या पर गुरुवार को आजाद पार्क में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया। लहुराबीर स्थित आजाद पार्क में जुटे कार्यकर्ताओं ने शहीद रमेश के साथ ही पुलवामा अटैक में शहीद उन सभी जवानों को श्रद्धासुमन अर्पित किया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान जब तक आतंक को पनाह देता रहेगा, भारत सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए मुंहतोड़ जवाब देगा। श्रद्धांजलि सभा में मंडल प्रभारी अंबरीश सिंह भोला, रवि विश्वकर्मा, जीत जायसवाल, राकेश श्रीवास्तव, अजय सिंह, रवि यादव समेत अन्य मौजूद रहे।
पापा आएंगे, टाफी-खिलौना लाएंगे
शहीद रमेश के साढ़े तीन के बेटे आयुष को क्या पता कि उसके पिता एक सितारा बनकर चमक रहे हैं। आयुष खुद से बताता है कि उसके पापा ड्यूटी पर गए हैं। वो जल्दी आएंगे और उसके लिए खूब सारी टाफी-खिलौने लाएंगे। दूध बेचकर घर का खर्च चला रहे शहीद के पिता के लिए अब उनका पौत्र आयुष ही सबकुछ है। उनकी इच्छा बस इतनी सी है कि बेटा तो देश के लिए बलिदान कर दिया, अब आयुष की परवरिश अच्छे से हो जाए। उसकी पढ़ाई-लिखाई के लिए सरकार कदम उठाए ताकि वह भी अपने पिता की तरह देश का नाम रोशन कर सके।