वसंत बेला में बाबा श्री काशी विश्वनाथ की पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलकोत्सव
शिवरात्रि पर शिव विवाह के पूर्व माघ शुक्ल पक्ष की वसंत पचंमी के अवसर पर बाबा विश्वनाथ के परिणयोत्सव की शुरूआत पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलकोत्सव कर किया गया।
वाराणसी, जेएनएन। माघ शुक्ल पक्ष की वसंत पचंमी के अवसर पर बाबा विश्वनाथ के परिणयोत्सव की शुरूआत पंचबदन रजत प्रतिमा का तिलकोत्सव कर किया गया। लोक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि पर शिव विवाह के पूर्व भगवान शंकर का राजा दक्ष द्वारा तिलक किया गया था। परंपरानुसार रविवार को दोपहर से ही विश्वनाथ मंदिर के मंहत डा. कुलपति तिवारी के आवास पर रजत प्रतिमा अनुष्ठान शुरू हो गया। वैदिक ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार कर बाबा की प्रतिमा का विधि विधान से पूजन कर पंचगव्य, पंचद्रव्य, दूध, गंगाजल से स्नान करा कर रजत सिंहासन पर विराजमान कराकर विशेष श्रृंगार किया गया। परंपरानुसार सांयकाल पांच बजे बाबा की प्रतिमा का तिलकोत्सव किया गया। बाबा को ठंडई, पंचमेवा व मिष्ठान का भोग लगाकर मंहत डा. कुलपति तिवारी ने विशेष महाआरती कर बाबा के तिलकोत्सव संपन्न कराया। शिवरात्रि पर विवाह की रस्म के बाद रंगभरी एकादशी पर रजत पालकी पर माता गौरा संग पालकी निकाल गौना की रस्म होगी।
मंहत आवास पर सांय ५ बजे रजत प्रतिमा का षोटषोपचार पूजन कर तिलकोत्सव के बाद संजीव रत्न मिश्र व गीतकार कन्हैया दुबे के.डी. के संयोजन मे भजन संध्या का कार्यक्रम मे नेहा चटर्जी ने जय शंकर कैलाशपति...शंकर जी है भोले भाले गले मे नाग डालें है.. शिव शंकर चले कैलाश की बुंदिया पड़ने लगी...तीन लोक से न्यारी काशी सहित पारम्परिक गीतों से बाबा के चरणों मे हाजिरी लगायी। युवा गायक नवनीत दुबे मधुकर ने बाबा के तिलक के पर चला तिलक चढ़ावा आये बाबा दुआर...शिव जी बने जब दूल्हे राजा भूत नाचे संग बजाके बाजा..स्नेहा अवस्थी ने सत्यम शिवम सुंदरम...बम बम बोल रहा है काशी...होरी खेले मसाने मे.. हर हर महादेव शम्भो काशी विश्वनाथ गंगे सहित अनेक गीत गाकर उत्सव मे रंग घोला ।हारमोनियम पर मधुकर और तबले पर अनिल राय ने कुशल संगत किया ।