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आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पूरे हुए तीन साल, आमजन तक पहुंच रहा गुणवत्तापरक चिकित्सा का लाभ

23 सितंबर 2019 को आयुष्मान योजना शुरू की गई। इसके तहत लाभार्थी योजना से संबद्ध सरकारी व निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त करा पा रहे हैं। बीते तीन वर्षों में अकेले बनारस में ही इस योजना के तहत 66778 लाभार्थियों ने चिकित्सीय लाभ उठाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 22 Sep 2021 10:21 PM (IST)Updated: Wed, 22 Sep 2021 10:21 PM (IST)
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पूरे हुए तीन साल, आमजन तक पहुंच रहा गुणवत्तापरक चिकित्सा का लाभ
23 सितंबर 2019 को आयुष्मान योजना शुरू की गई।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। हथकरघा की खटर-पटर के बीच बुनकर मुश्किल से गृहस्थी की गाड़ी खींच पाता है। कोई बीमार पड़ा तो परिवार कई माह तक कर्ज के बोझ तले दबा रहता है। गंभीर बीमारियों में जमीन-मकान तक बेचने की नौबत आ जाती है। परिवार बिखर कर रह जाता है और सजे-सजाए ख्वाब धरे रह जाते हैं। कुछ इसी तरह का दर्द सभी निम्न आय वर्ग वालों का था, जिसे हरने के लिए 23 सितंबर 2019 को आयुष्मान योजना शुरू की गई। इसके तहत लाभार्थी योजना से संबद्ध सरकारी व निजी अस्पतालों में पांच लाख रुपये तक का इलाज मुफ्त करा पा रहे हैं।

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बीते तीन वर्षों में अकेले बनारस में ही इस योजना के तहत 66778 लाभार्थियों ने चिकित्सीय लाभ उठाया, जिसमें 16115 ने सरकारी तो वहीं 50663 ने निजी हास्पिटल में इलाज कराया। जनपद में अब तक 293044 आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। सीएमओ डा. वीबी सिंह के मुताबिक आयुष्मान योजना से कुल 159 हास्पिटल जुड़े हैं, जिनमें 23 सरकारी व 136 निजी हास्पिटल हैं। यह पूर्वांचल में किसी जनपद का योजना से जुड़ने का सर्वाधिक आंकड़ा भी है। बनारस में पड़ोसी जनपदों के मरीजों का भी योजना के तहत इलाज किया जा रहा है।

गृहस्थी चलाते या इलाज कराते

केस-1 : नवापुरा थाना जैतपुरा निवासिनी खतीजा अंसारी के सामान्य बुनकर परिवार से ताल्लुक रखती हैं। पति पावरलूम चलाते हैं तो वहीं खतीजा उनका हाथ बटाने के लिए साड़ी कतरने का काम करती हैं। कुछ अरसा पहले पेट दर्द होने पर उन्होंने चिकित्सीय परामर्श से जांच कराई। ट्यूमर की बात सामने आने पर परिवार पर मानो विपदा आ गई। पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने चेक किया तो उनका नाम योजना के लाभार्थियों में था। उनका कार्ड बनवाया गया, जिसके बाद बीएचयू हास्पिटल में आपरेशन हुआ और डाक्टरों की टीम ने सात किलोग्राम का ट्यूमर निकाला। अब वे बिल्कुल स्वस्थ हैं।

केस-2 : जलालीपुरा निवासी हफीजुद्दीन अंसारी की उम्र 75 वर्ष है। एक महीना पहले सीढ़ियों से गिर पड़े। कूल्हे में फैक्चर के साथ ही हाथ भी टूट गया। परिवार की स्थिति ऐसी नहीं कि किसी बड़े अस्पताल में सीधे जाकर इलाज करा पाए। आयुष्मान कार्ड को खोजा और नजदीक के हास्पिटल से संपर्क किया। जिस आपरेशन के लिए पहले 70-80 हजार जुटाने की बात कही गई थी, वह आपरेशन 20 दिन पहले ही पूरी तरह निश्शुल्क हो गया।

केस-3 : राबर्ट्सगंज-सोनभद्र निवासी राम मूरत के नौ वर्षीय पुत्र रोमिशा राज को ब्रेन ट्यूमर था। परिवार की आर्थिक ऐसी नहीं थी कि बड़े अस्पताल में इलाज करा पाएं। एक रिश्तेदार ने आयुष्मान योजना में नाम चेक करने का सुझाव दिया। नाम होने पर उन्होंने फौरन अपना गोल्डेन कार्ड बनवाया और इलाज के लिए बच्चे को लेकर बनारस आ गए। सुंदरपुर रोड स्थित हास्पिटल में बच्चा डा. अवनीश राय की निगरानी में भर्ती हुआ। आपरेशन के बाद अब रोमिशा बिल्कुल ठीक है।

केस-4 : धनंजयपुर, वाराणसी निवासिनी 90 वर्षीय भग्गल देवी के कूल्हे में फैक्चर था। चलने-फिरने से मजबूर वे बिस्तर पर ही थी। परिवार ने सोच लिया कि अब शायद ही वे कभी चल पाएं। मगर आयुष्मान कार्ड होने के चलते परिवार के लोगों ने डाक्टर से संपर्क किया और डा. अभिषेक राय की निगरानी में भर्ती कराया। आपरेशन के बाद अब बुजुर्ग खुद से चल-फिर रही हैं, तो वहीं परिवार के लोग इसका श्रेय आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को दे रहे हैं।


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