बलिया में तीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बुझाएंगे 6.06 लाख परिवारों की प्यास, 3335 करोड़ का ग्लोबल टेंडर
पेयजल संकट झेल रहे बलिया को 2024 तक राहत मिलने की उम्मीद जगी है। केंद्र सरकार की स्वर्णिम योजना जल जीवन मिशन से करीब 30 लाख ग्रामीण आबादी को नदियों का शोधित जल पिलाने की कार्ययोजना मंजूर हुई है। शासन ने 3335 करोड़ रुपये निर्माण लागत स्वीकृत किया है।
जागरण संवाददाता, बलिया : सालों से गंभीर पेयजल संकट झेल रहे बलिया को 2024 तक राहत मिलने की उम्मीद जगी है। केंद्र सरकार की स्वर्णिम योजना जल जीवन मिशन से करीब 30 लाख ग्रामीण आबादी को नदियों का शोधित जल पिलाने की कार्ययोजना मंजूर हुई है। शासन ने 3335 करोड़ रुपये निर्माण लागत स्वीकृत किया है। उत्तर प्रदेश जल एवं स्वच्छता मिशन लखनऊ ने ग्लोबल टेंडर किया है। 11 जून के बाद कंपनी तय कर ली जाएगी। कंपनी डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाएगी। उत्तर प्रदेश जल निगम की ग्रामीण इकाई मानीटरिंग करेगी।
जिले में पेयजल आपूर्ति का बुरा हाल है। भू-जल में आर्सेनिक और फ्लोराइड की अधिक मात्रा के चलते लाखों जिंदगियां परेशान है। वे बीमारियों की जद में हैं। जल निगम भू-जल को सेहत के लिए खतरा बता चुका है। पिछले दिनों बलिया, चंदौली समेत प्रदेश के आठ जिलों में नदी का पानी शोधित कर लोगों के घरों को तक पहुंचाने की योजना को स्वीकृति मिली थी। इसके लिए जिले में सर्वे हो चुका है। गंगा और सरयू का पानी शोधित किया जाना है। प्राेजेक्ट को तीन फेज में बांटा गया है। तीन वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण की स्वीकृति मिली है।
बेलहरी, हनुमानगंज और मनियर में प्रस्तावित डब्ल्यूटीपी 337 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी शोधित करेंगे। इन प्लांटों को पेयजल टंकियों से जोड़ा जाएगा। यहां से करीब 16 हजार किलोमीटर मोटी पाइपों का नेटवर्क बिछाया जाएगा। कुछ नई टंकियां भी बनाई जाएंगी। इसके जरिए लोगों के घरों तक शुद्ध पेयजल आपूर्ति होगी। इसके लिए करीब 6.06 लाख घरों को नया कनेक्शन देने की योजना बनाई गई है।
केस 1 :- बहुआरा जगदीशपुर के रामेश्वर पांडेय ने बताया कि भूजल में आर्सेनिक की मात्रा होने के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। गंगा जल से खाना बनता है। समस्या यह है कि नल का पानी अगर खाने में प्रयोग किया जाता है तो दाल व चावल का रंग काला पड़ जाता है। पेयजल के लिए आर्सेनिक युक्त पानी ही है, यह पानी सेवन करने से शरीर में खुजली होती है।
केस 2 :- श्रीपालपुर के मनोज उपाध्याय ने बताया कि चांदपुर से लेकर शिवपुर कपूर दियर तक 13 से अधिक गांवों में आर्सेनिक की समस्या है। पानी पीने से चर्म रोग होता है। गांव में 90 फीसद लोग गंगा मेें नहाना पसंद करते हैं। वहां से जल भी लेकर आते हैं और उसी का सेवन किया जाता है। यहां भूजल से ज्यादा गंगाजल पर यकीन है।
चरण 1 :-
88 एमएलडी डब्ल्यूटीपी की क्षमता
808.19 करोड़ निर्माण लागत
4009 किलोमीटर पाइप नेटवर्क
1,56183 हाउस कनेक्शन देंगे
चरण 2 :-
140 एमएलडी डब्ल्यूटीपी की क्षमता
1373.15 करोड़ रुपये निर्माण लागत
6516 किलोमीटर पाइप नेटवर्क
2,51,473 हाउस कनेक्शन देंगे
चरण 3 :-
109 एमएलडी डब्ल्यूटीपी की क्षमता
1150.16 करोड़ रुपये निर्माण लागत
5680 किलोमीटर पाइप नेटवर्क
1,98,919 हाउस कनेक्शन देंगे
लखनऊ स्तर पर टेंडर किया गया है। निर्माण एजेंसी तय होने के बाद कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जमीन अधिग्रहण के लिए अलग धनराशि स्वीकृत की गई है। इसका आंकलन अभी किया जा रहा है।
मिशन के तहत है पर्याप्त बजट
जलजीवन मिशन के जरिए गांवों की जनता को पेयजल आपूर्ति की योजना है। मिशन के तहत पर्याप्त बजट है। टेंडर किया गया है। तकनीकी और वाणिज्य आधार पर कंपनियों का चयन किया जा रहा है।