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गाजीपुर में झोपड़ी में अलाव की आग से जिंदा जले तीन बच्चे, गंभीर हालत में मां अस्‍पताल में भर्ती

थाना क्षेत्र के लहुआर गांव स्थित ईंट-भटठे पर बुधवार की देर रात झोपड़ी में अलाव की आग से बेटी पूजा (13) बेटा चंद्रिका (7) व डमरू (4) की झुलसकर मौत हो गई। मां भागीरथी जीवन-मौत से वाराणसी अस्पताल में जूझ रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2020 09:03 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 09:20 PM (IST)
गाजीपुर में झोपड़ी में अलाव की आग से जिंदा जले तीन बच्चे, गंभीर हालत में मां अस्‍पताल में भर्ती
बुधवार की देर रात झोपड़ी में अलाव की आग से तीन बच्‍चों की झुलसकर मौत हो गई।

गाजीपुर, जेएनएन। थाना क्षेत्र के लहुआर गांव स्थित ईंट-भटठे पर बुधवार की देर रात झोपड़ी में अलाव की आग से बेटी पूजा (13), बेटा चंद्रिका (7) व डमरू (4) की झुलसकर मौत हो गई। मां भागीरथी जीवन-मौत से वाराणसी अस्पताल में जूझ रही है, जबकि पिता बबलू वनवासी मामूली रूप से झुलसा है। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजते हुए पड़ताल शुरू कर दी है। 

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 चंदौली जनपद के शहर कोतवाली के दिग्घी गांव निवासी बबलू वनवासी पत्नी भागीरथी व तीन बच्चों संग भटठा पर ईंट की पथाई का कार्य करता था। काम समाप्त होने पर बुधवार की रात में खाना खाने के बाद बबलू परिवार के साथ भट्टा परिसर स्थित अपने झोपड़ी में रोज की तरह एक किनारे जली अंगीठी रखकर नीचे पुआल पर पड़े बिस्तर पर सो गया। रात करीब एक बजे अंगीठी की आग बिस्तर से होते हुए झोपड़ी में लग गई। आग की लपटें देख बबलू झोपड़ी से बाहर निकलकर चीखने-चिल्लाने लगा। बगल की झोपड़ी में सोए बबलू का साला नंदू व अन्य लोग मौके पर पहुंचे और हैंडपंप से पानी लेकर आग को बुझाने लगे।

इस दौरान पत्नी भागीरथी व चार वर्षीय पुत्र डमरू को वह झुलसे हाल में बाहर निकालने में कामयाब रहा, लेकिन पूजा व चंद्रिका दम तोड़ चुके थे। जानकारी मिलते ही भटठा मालिक झुलसे तीनों लोगों को दिलदारनगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। हालत गंभीर देख चिकित्सकों ने उन्हें बीएचयू वाराणसी के लिए रेफर कर दिया, जहां उपचार के दौरान गुरुवार की सुबह डमरू ने भी दम तोड़ दिया। दोपहर बाद किसी से घटना की जानकारी पर क्षेत्राधिकारी हितेंद्र कृष्ण, तहसीलदार आलोक कुमार व कोतवाल राजीव कुमार ङ्क्षसह मौके पर पहुंचे। उन्होंने लोगों से घटना की जानकारी ली। उधर, इस घटना के बाद अधिकतर मजदूर घर निकल लिए। 

तीन बच्चों की मौत के शोक में नहीं जले चूल्हे 

सदर कोतवाली के डिग्घी गांव में गुरुवार की शाम तीन बच्चों की मौत को लेकर सियापा छाया रहा। हर कोई बच्चों के बारे में ही चर्चा करता रहा। वनवासी बस्ती में शोक में चूल्हा भी नहीं जला। बबलू वनवासी अपने तीन बच्चों व पत्नी भागीरथी के साथ गाजीपुर स्थित एक भठ्ठे पर ईटा पथाई का कार्य करता था। बुधवार की देर रात अज्ञात कारणों से लगी आग के कारण उसके सो रहे पुत्र चंद्रिका 7 वर्ष, डमरु 5 वर्ष व पुत्री पूजा 13 वर्ष की मौत हो गई, वहीं पत्नी भागीरथी गंभीर रूप से झुलस गई। भागीरथी का इलाज वाराणसी के बीएचयू में चल रहा है। मौत की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया। लोगों में इस बात की चर्चा रही की तीन माह पूर्व परिवार के साथ रोजगार के लिए गए बबलू का पूरा परिवार मौत के गाल में समा गया। पूर्व प्रधान शमसुद्दीन एडवोकेट ने जिलाधिकारी से पत्नी के समुचित इलाज व मृतक के परिजनों को मुआवजे की मांग की। 


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