बनारस, भदोही व मीरजापुर में बनेेंगे तीन कारपेट क्लस्टर, कालीन निर्यात बढ़ाने के प्रोजेक्ट को मंजूरी
कालीन उद्योग की जड़ें पूर्वांचल मेें और गहरी करने की कोशिश है। नियोजित तरीके से कालीन उत्पादन हो इसके लिये अब केंद्र सरकार ने तीन कारपेट क्लस्टर बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।
भदोही (संग्राम सिंह)। कालीन उद्योग की जड़ें पूर्वांचल मेें और गहरी करने की कोशिश है। नियोजित तरीके से कालीन उत्पादन हो, इसके लिये अब केंद्र सरकार ने तीन कारपेट क्लस्टर बनाने की सैद्धांतिक मंजूरी दी है। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) ने प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। भदोही के औराई, बनारस और मीरजापुर में तीनों क्लस्टर 25-25 एकड़ भूखंड में विकसित किये जाएंगे। सीईपीसी को जमीन खोजने के लिये कहा गया है। तीनों स्थानों पर अब योजना बनाकर कालीन उत्पादन किया जाएगा। छह सौ से अधिक इकाइयों को विकसित करने के लिये सीईपीसी कंसलटेंट नियुक्त करने जा रही है, वही डीपीआर बनाएगी। कई कंपनियों से आवेदन भी मांगे जा रहे हैं। सब्सिडी पर जमीन सरकार उपलब्ध कराएगी। बाद में वहां पर उत्पादन इकाइयों के लिये बनियादी सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी, इसके लिये लागत का आंकलन किया जा रहा है।
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सीएफसी, डिजाइन स्टूडियो व प्रयोगशाला भी बनेगी
कालीन क्लस्टर के साथ तीनों स्थानों पर कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर (सीएफसी), डिजाइन स्टूडियो और प्रयोगशाला भी बनाए जाएगी। इससे हर इकाई में लगे लोगों और कारीगरों को प्रशिक्षण देकर उनकी कला का व्यवसायीकरण करेगा ता युवाओं व क्षेत्रीय आबादी को बड़े स्तर पर रोजगार से जोड़ा जा सके।
कारपेट सिटी के निकट बनेगा अंतरराष्ट्रीय स्तरीय होटल
कारपेट सिटी में करीब 200 करोड़ से कारपेट एक्सपो मार्ट बना हुआ है। यहां पर जून में कारपेट फेयर आयोजित करने की योजना है। दुनिया भर के आयातक और भारतीय निर्यातक अगर शामिल होने के लिये आएंगे तो ठहरेंगे कहां, इसके लिये सीईपीसी ने इंटरनेशनल स्तर का होटल बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। गुरुवार को इसकी मंजूरी मिल गई। एमएसएमई व निर्यात संवर्धन विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने जमीन आवंटन के आदेश दिये हैं।
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शुक्रवार को मुख्य सचिव के साथ तीनों स्थानों पर क्लस्टर बनाने की योजना पर चर्चा हुई है। उन्होंने कार्ययोजना मांगी है। इस दिशा में परिषद कार्रवाई शुरू कर चुका है। क्लस्टर विकसित होने के बाद कालीन का निर्यात और बढ़ाया जा सकता है। सरकार प्रस्ताव पर सकारात्मक ²ष्टि से मंथन करने लगी है।
- सिद्धनाथ सिंह, अध्यक्ष, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद
तीनों स्थानों पर क्लस्टर बनने से कालीन उद्योग और समृद्ध होगा। नियोजित ढंग से उत्पादन होगा तो निश्चित रुप से दुनिया में कालीन निर्यात बढ़ेगा। आयातकों की पसंद के अनुसार आकर्षक डिजाइन वाले उत्पाद तैयार करने में मदद मिलेगी। डीपीआर पर काम शुरू हो चुका है। जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। - संजय कुमार, अधिशासी निदेशक, कालीन निर्यात संवर्धन परिषद