बनारसी स्ट्रीट फूड : ठंड में खाइए गरमा-गरम रसदार पकौड़े, चालीस साल पहले की दुकान को चला रही तीसरी पीढ़ी
ठंड ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है लोग जब शाम को बाजारों में निकल रहे हैं तब उन्हें कुछ चटपटेदार व्यंजन खाने की इच्छा हो रही है और वे इस तरह के व्यंजन खोजने लगते हैं।
वाराणसी [सौरभ चंद्र पांडेय]। ठंड के मौसम में गरम-गरम चटपटेदार व्यंजन हो तो खाने का मजा कुछ और ही होता है। ठंड ने अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है। लोग जब शाम को बाजारों में निकल रहे हैं तब उन्हें कुछ चटपटेदार व्यंजन खाने की इच्छा हो रही है, और वे इस तरह के व्यंजन खोजने लगते हैं। ऐसी ही एक चलती-फिरती दुकान सजती है लहुराबीर चौराहे पर शाम 5 बजे। जहां गरम-गरम रसेदार चटपटा पकौड़ा मिलता है।
दुकानदार ज्वाला प्रसाद बताते हैं कि 42 वर्ष पूर्व पिता स्व. राजा साव ने ठेले को जमाया और आज तीसरी पीढ़ी के दीपू केशरी और विष्णु केशरी इस ठेले को सजा रहे हैं। परिवार के सभी लोग इस ठेले पर ही आश्रित हैं। दोपहर बाद घर पर रसेदार पकौड़ा तैयार करने का जो सिलसिला शुरू होता है वह रात के 11 बजे बिक्री के साथ समाप्त होता है।
तीन तरह के रसदार पकौड़े
इस ठेले पर तीन तरह के पकौड़े (पालक का पकौड़ा, मूंग दाल का पकौड़ा व पनीर पकौड़ा ) मिलता है। सभी के अलग-अलग स्वाद भी हैं। ग्राहक की जो मांग होती है उन्हें वही परोसा जाता है।
पालक व पनीर के पकौड़े की मांग ज्यादा
पालक और पनीर के पकौड़े की मांग ग्राहकों में ज्यादा है। ये पकौड़े गर्मागर्म ग्रेवी में डूबे रहते हैं। जिस कारण ये काफी मुलायम होते हैं। स्पेशल स्वाद के लिए मशहूर इस ठेले पर शाम 5 से रात 11 बजे तक लोगों की काफी भीड़ रहती है। ग्राहक बताते हैं कि तीसरी पीढ़ी आने के बाद भी स्वाद में कोई बदलाव न होना ही इस ठेले की पहचान है।
सोहाल ने बढ़ा दिया जायका
एक ग्राहक ने बताया कि पहले पकौड़े में सोहाल का प्रयोग नहीं होता था इस दुकान को चला रहे तीसरी पीढ़ी के लोगों ने सोहाल का प्रयोग कर पकौड़े को और भी जायकेदार बना दिया है।