ब्रिटिश सेना के कंधों पर सजता है आज भी बनारस का बना हुआ आकर्षक बैज Varanasi news
अपने कुशल और अनुशासित सैनिकों की बदौलत ब्रिटेन ने भारत पर करीब दो सौ साल तक राज किया। आज वही सैनिक बनारस में बने बैज से अपने कंधों की शोभा बढ़ाते हैं।
वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत]। अपने कुशल और अनुशासित सैनिकों की बदौलत ब्रिटेन ने भारत पर करीब दो सौ साल तक राज किया। आज वही सैनिक बनारस में बने बैज से अपने कंधों की शोभा बढ़ाते हैं और यहां की कारीगरी को सलाम करते हैं। सिर्फ ये ही नहीं अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कई अन्य देश भी काशी के इस हुनर हो देखकर दांतों तले अंगुलियां दबा लेते हैं। जरी के माध्यम से यहां के कारीगर सिर्फ बैज ही नहीं बल्कि सजावटी सामान और कपड़े भी तैयार करते हैं। यूरोप के कुछ बड़े व्यापारी तो एजेंटों के माध्यम से जरदोजी के कपड़े खरीदते हैं और महिलाओं की पोशाक बनाकर बेचते हैं। यह कला किस कदर विदेशों में पैठ कर चुकी है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे प्रति वर्ष करीब दस करोड़ रुपये का कारोबार होता है।
1933 से पेशे में है परिवार : शहर स्थित ओंकारेश्वर मोहल्ले के निवासी व जरी के विख्यात कारीगर (जरदोज) सुफीउल रहमान की चौथी पीढ़ी के बेलाल अंसारी बताते हैं कि हमारा परिवार वर्ष 1933 से जरदोजी के पेशे में है। आज भी एक कारीगर दिन में आठ से 10 घंटे तक बारीक सुई से कढ़ाई करता है।
क्रिसमस व नए साल के लिए आर्डर आना शुरू : बेलाल अंसारी ने बताया कि अमेरिका, स्पेन, बुल्गारिया, रोमानिया व आस्ट्रेलिया से क्रिसमस और न्यू-ईयर के लिए आर्डर आना शुरू हो गया है। यह सितंबर के पहले सप्ताह तक चलेगा और हमें नवंबर में आपूर्ति करनी होगी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और चीन से भारतीय कारीगरों को कड़ी टक्कर मिल रही है।
कम हो जीएसटी तो बढ़े व्यापार : इसी परिवार के हेलाल अंसारी का कहना है कि जरी के सामान पर जीएसटी कम हो जाए तो व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है। बनारस में एक दर्जन व्यापारी इस पेशे से जुड़े हैं। प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से करीब एक हजार लोगों को इससे रोजगार मिल रहा है।
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