Move to Jagran APP

काशी में बुनकरों की हड़ताल : उचित मूल्य वृद्धि जरूर हो, लेकिन फ्लैट रेट पर मिले बिजली

फ्लैट रेट पर बिजली की मांग को लेकर बुनकरों की अनिश्चितकालीन बंदी का क्रम 12वें दिन भी जारी रहा। बुनकर समिति के सदस्यों व बुनकर बिरादराना तंजीम ने कहा कि बुनकर सरकार की ओर से बिजली की दरों में उचित मूल्य वृद्धि के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं।

By Edited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 01:14 AM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 09:36 AM (IST)
काशी में बुनकरों की हड़ताल : उचित मूल्य वृद्धि जरूर हो, लेकिन फ्लैट रेट पर मिले बिजली
फ्लैट रेट पर बिजली की मांग को लेकर बुनकरों की अनिश्चितकालीन बंदी का क्रम 12वें दिन भी जारी रहा।

वाराणसी, जेएनएन। फ्लैट रेट पर बिजली की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन बंदी का क्रम 12वें दिन भी जारी रहा। वहीं, तमाम तरह की चर्चाओं पर स्थिति स्पष्ट करते हुए प्रदेश बुनकर समिति के सदस्यों व बुनकर बिरादराना तंजीम ने कहा कि बुनकर सरकार की ओर से बिजली की दरों में उचित मूल्य वृद्धि के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं। मगर बिजली उन्हें फ्लैट रेट पर ही उपलब्ध कराई जाए। तीन सितंबर को बुनकरों से बातचीत में सरकार की ओर से अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने इसका वादा भी किया था।

loksabha election banner

ऐसे में सरकार से मांग है कि वो अपना वादा पूरा करे और बुनकरों की रोजी-रोटी को बिजली विभाग के मकड़जाल से बचाए। दरअसल, वर्ष 2006 से किसानों की तर्ज पर बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली की व्यवस्था की गई थी। इसमें बुनकरों को प्रति पावरलूम हर महीने 72 रुपये देने होते थे। सितंबर में अपर मुख्य सचिव संग बुनकर प्रतिनिधिमंडल की बैठक में यह बातें तय हुई थी कि 2006 से अब तक जितनी मूल्य वृद्धि किसानों की बिजली में की गई, उतना बुनकरों में भी की जाए। इस बार पर सहमति बनी कि बुनकर जुलाई तक की बिल पुराने फ्लैट रेट के हिसाब से ही जमा करेंगे। उसके बाद सरकार बुनकर प्रतिनिधिमंडल से बातचीत कर पहले से भी बेहतर व्यवस्था बनाएगी।

मगर एक महीना बीतने के बाद भी जब बुनकरों के बिल जमा होने शुरू नहीं हुए और एक-एक कर उनके कनेक्शन काटे जाने लगे तो रोजी-रोटी पर संकट आता देख बुनकर एक बार फिर आंदोलित हो उठे। सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए 15 अक्टूबर से दोबारा अनिश्चितकालीन बंदी का ऐलान कर दिया गया। बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी के सरदार हाजी अब्दुल कलाम, बारहों के सरदार हाशिम अंसारी व चौदहों के सरदार मकबूल हसन ने कहा कि सालाना करीब 2500 करोड़ रुपये वाला यह उद्योग बनारस ही नहीं पूर्वांचल के साढ़े चार लाख परिवारों की रोजी-रोटी का जरिया है। ऐसे में यदि सरकार ने हमारी जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो दाने-दाने को मोहताज बुनकर पलायन को मजबूर हो जाएंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.