एकाकीपन और उम्मीदों के अंत का भावपूर्ण चित्रण
वाराणसी : 8वें थिएटर ओलंपिक्स के तहत कबीरचौरा स्थित नागरी नाटक मंडली प्रेक्षागृह में गुरु
वाराणसी : 8वें थिएटर ओलंपिक्स के तहत कबीरचौरा स्थित नागरी नाटक मंडली प्रेक्षागृह में गुरुवार को ¨हदी नाटक 'वेटिंग फार गोदो' का मंचन हुआ। संकेत जैन के निर्देशन में अध्यात्म नाट्य अकादमी-राजस्थान ने मानव जीवन में एकाकीपन और सभी आशाओं के अंत का चित्रण किया।
वेटिंग फॉर गोदो सैमुअल बैकेट लिखित एक असंगत नाटक है, जिसमें दो चरित्र-व्लादिमिर और एस्त्रागोन किसी गोदो नाम के व्यक्ति के आने की अंतहीन और व्यर्थ प्रतीक्षा करते हैं। इसमें बीसवीं सदी के मध्यकाल के यूरोप की मानव-दुर्दशा को दर्शाया गया। ये चरित्रों के बारे में एक नाटक है-इस बारे में नहीं, कि उनके साथ क्या घटता है बल्कि, उनके बारे में, बिना किसी उत्तर या निश्चिंतताओं के, मनुष्यों का एक चित्रण। क्या कोई गोदो है? वो कैसा दिखाई, देता है? वो कैसे व्यवहार करता है? उसके लिए वो क्या करेगा? क्या उन दोनों को उसमें अपनी आशाएं झोंक देनी चाहिए? उनके पास कोई उत्तर नहीं है, सिवाय इसके, कि वे एक बहुत फिसलन भरी जमीन पर खड़े हैं। अपनी आशाओं के लिए किसी ठोस आधार के अभाव में वे यथार्थ में जमीन पर गिरते रहते हैं। चरित्रों में व्लादिमिर नाटक की आत्मा और एस्त्रागोन देह हैं, जबकि पोजो पूरी स्पष्टता के साथ उनका मालिक है। इसका विषय समकालीन रूप में प्रासंगिक है। नाटक के चरित्र मानव जीवन में एकाकीपन और सभी आशाओं के अंत का चित्रण करते हैं। वे आज के समाज की भाति उद्देश्यहीन जीवन बिताते हैं, जो एक कठपुतली-प्रदर्शन से अधिक कुछ नहीं है। वे चलते हैं, बात करते हैं, अपने जीवन जीते हैं, लेकिन बिना किसी यथार्थ भावना के। नाटक की घटनाएं दमनकारी और दमितों के यथार्थ पर भी प्रकाश डालती हैं। महमूद अली, उमेश वर्मा, पुष्कर शरद, योगेंद्र सिंह परमार, करणी सिंह चारण व रोहन सिंह प्रमुख भूमिका निभाई।