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भारत को दुनिया की जरूरत कम है, दुनिया को भारत की जरूरत ज्यादा है : केएन गोविंदाचार्य

अध्ययन प्रवास के दौरान के एन गोविंदाचार्य ने असि स्थित एक कैफे में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि भारत को दुनिया की जरूरत नहीं है लेकिन दुनिया को भारत की जरूरत ज्यादा है। भारत भौगोलिक संस्कृति के हिसाब से बहुत मजबूत देश है इसलिए हर तरह से समृद्ध है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 05:38 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 11:25 PM (IST)
भारत को दुनिया की जरूरत कम है, दुनिया को भारत की जरूरत ज्यादा है : केएन गोविंदाचार्य
के एन गोविंदाचार्य ने अपनी यात्रा के अनुभव को साझा किया।

वाराणसी, जेएनएन। अध्ययन प्रवास के दौरान के एन गोविंदाचार्य ने असि स्थित एक कैफे में प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि भारत को दुनिया की जरूरत कम है, दुनिया को भारत की जरूरत ज्यादा है। भारत भौगोलिक और संस्कृति के हिसाब से बहुत ही मजबूत देश है इसलिए हर तरह से समृद्ध है।

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यहां की परम्परा और कृषि को मजबूत करने की जरुरत है। कैलाश मानसरोवर को भारत का हिस्सा बनाने के लिए जनमत तैयार करना होगा तथा चीन से संवाद भी करना चाहिए। इसके लिए भारत की प्रत्येक जनता को अपने अंदर आत्मविश्वास बढ़ाना होगा। के एन गोविंदाचार्य ने अपनी यात्रा के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि भारत अखंड है और अखंड रहेगा।

गंगा किनारे लोगों ने काशी कथा, रोटी बैंक जैसे नए तीर्थ बनाए हैं ये ही नए देवता हैं। कहा कि गंगा जी और गौमाता की चिंता किए बगैर स्वदेशी विकास संभव नहीं है। के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि गरीबी घटी नहीं है बल्कि अपराध, बेरोजगारी और विषमता बढ़ी है। गरीब वर्ग और महिलाओं की स्थिति खराब हुई है। उन्होंने कहा कि सत्ता से नहीं बल्कि संस्कार से देश का विकास होगा। टेक्नोलॉजी के नियंत्रण के लिए लोकपाल जैसी व्यवस्था लागू करने की जरूरत है।

प्रेस वार्ता के दौरान विचारक के एन गोविंदाचार्य ने कहा कि हम बिना संस्कारों के भारत का निर्माण नहीं कर सकते हैं। गोविंदाचार्य ने कहा कि खेती में प्रयोग की जरूरत है जिसमें एक ही जगह कई तरह की खेती हो। प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का समर्थन करता हूं। गोविंदाचार्य ने कहा कि बड़ों का लिहाज और आंख की शरम से कानून व्यवस्था चलती है न कि केवल पुलिसिया व्यवस्था से चलती है। अपने तीन दिनी प्रवास के दौरान उन्‍होंने वाराणसी में अपने अनुभवों को भी प्रेस से साझा करते हुए गंगा की संस्‍कृति काे बचाने के लिए प्रयास की जरूरतों पर बल दिया।


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