सड़क किनारे लगे पौधों के नाम होंगे सूर्य, चंद्रमा
वाराणसी : प्रदेश के ़6 मंडलों में सड़कों के किनारे पौधरोपण किए जाएंगे। खस बात यह कि उन पौधों के नाम नवग्रहों पर आधारित होंगे। मसलन किसी का नाम सूर्य तो किसी नाम चंद्रमा होगा।
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संग्राम सिंह, वाराणसी
प्रदेश भर में अब पौधों के नाम नवग्रह व 27 नक्षत्रों पर रखे जाएंगे। बहुत जल्द ऐसा ही कुछ होने वाला है सभी 18 मंडलों में। बनारस मंडल के तीन जिलों में आशापुर से सारनाथ रोड का चयन हुआ है, यहां 2100 मीटर तक 17 खास किस्म के औषधीय पौधे लगाए जाएंगे, इनके नाम नवग्रह व नक्षत्रों पर होंगे। करीब आठ लाख रुपये में 'हर्बल ट्री' लगाने के प्रस्ताव को लोक निर्माण विभाग मुख्यालय ने सैद्धांतिक मंजूरी भी दे दी है।
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बनारस, चंदौली व गाजीपुर जिले की सड़कों की पिछले दिनों विस्तृत सर्वे रिपोर्ट मांगी गई थी, इनमें फिलहाल आशापुर से सारनाथ रोड का चयन कर लिया गया है। चूंकि मंडल में एक ही रोड पर योजना को धरातल पर उतारना है, इसलिए भेजी गई सर्वे रिपोर्ट को मुख्यालय ने सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है। धन आवंटन के बाद औषधीय पौधे चयनित मार्ग किनारे लगाए जाने शुरू कर दिए जाएंगे।
- ज्ञानशंकर पांडेय, मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग
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नवग्रह : सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु व केतु। नक्षत्र : अश्रि्वनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, श्लेषा, माघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद व रेवती
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यह खास प्रजातियां
मासपर्णी, सप्तपर्णी, रतनजोत, जल नीम, छोटा नीम, सहजन, मेंथा, लेमनग्रास, भृंगराज, मुई, आंवला, ब्राह्माी, तुलसी, अनंतमूल, ग्वारपाठा, अश्वगंधा व हल्दी।
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सड़क पर मिलेगा हर्बल उपचार
राह चलते लोगों को हर्बल उपचार मिले, योजना को धरातल पर उतारने की कोशिश शुरू हुई है। अस्थमा, कैंसर व त्वचा रोग जैसी बीमारियों को दूर करने वाली हर्बल दवाएं अब बमुश्किल मिल रहीं। रोड किनारे हर्बल पौधे लगाने के बाद राहगीरों को आसानी से लाभ मिल सकेगा।
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गायब हो रहे आयुर्वेदिक पौधे
पीडब्ल्यूडी के अपर मुख्य सचिव संजय अग्रवाल ने प्रदेश के सभी जिलों को पत्र जारी कर आयुर्वेदिक पौधों के खत्म हो जाने पर चिंता जताई है। कहा है कि घर, दफ्तर व पार्क इन दिनों अंग्रेजी पौधों से सजाए जा रहे हैं, बोनसाई का चलन भी बढ़ा है इस पर विचार करने की जरुरत है।