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स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2020 : समुद्री धाराओं व हवा के रुख से पता चलेगी क्रैश विमान की लोकेशन

स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2020 में रविवार को युवाओं ने एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा दी गईं आठ समस्याओं का निवारण अपने-अपने विचारों और तकनीकी कुशलता के साथ किया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 12:09 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 12:09 PM (IST)
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2020 : समुद्री धाराओं व हवा के रुख से पता चलेगी क्रैश विमान की लोकेशन
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2020 : समुद्री धाराओं व हवा के रुख से पता चलेगी क्रैश विमान की लोकेशन

वाराणसी, जेएनएन। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2020 में रविवार को युवाओं ने एयरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा दी गईं आठ समस्याओं का निवारण अपने-अपने विचारों और तकनीकी कुशलता के साथ किया। पूरे दिन यह ऑनलाइन मैराथन दो चरण में पूरा हुआ, पहला मेंटर और दूसरा मूल्यांकन चरण था। मेंटर लेवल में 39 टीमों के युवाओं का दल विशेषज्ञों से निरंतर जुड़ कर सुझाव लेता रहा, वहीं मूल्यांकन के दौर में सभी 39 टीमों के कार्यों का परीक्षण किया गया। इस दौरान ज्यूरी और जज ने एके-9 टीम के आदित्य मानकर के प्रोजेक्ट सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन को काफी सराहा। आदित्य ने बताया कि उन्होंने साफ्टवेयर एप्लीकेशन विकसित किया है, ताकि लापता विमान के अंतिम व्यक्ति की भी लोकेशन पता चल सके। इस वेबसाइट पर विभिन्न तरीके के ग्लोबल मैप हैं, इसमें खतरनाक समुद्री धाराओं और हवाओं के बहाव के लाइव आंकड़े पता चलते हैं। हवा के रुख और समुद्री धाराओं के विधिवत अध्ययन के बाद यह पता चल सकेगा कि पानी में गिरा विमान कितनी दूर तक जा सकता है। यदि यह कोई स्थलीय या दुर्गम क्षेत्र होगा तो क्रैश लोकेशन पहले पता कर ली जाएगी।

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36 घंटे तक चली प्रक्रिया

एयरपोर्ट अथॉरिटी की आठ समस्याओं का हल 39 टीमों के हजारों छात्रों ने पूरे 36 घंटे के दौरान निकाला। अब फाइनल राउंड सोमवार को होगा, इसके बाद मंगलवार तक 39 टीमों द्वारा तैयार प्रोटोटाइप सिस्टम एमएचआरडी में जमा कर दिए जाएंगे। समग्र आकलन होते ही पांच अगस्त को इसका परिणाम घोषित हो जाएगा। परिणाम मुख्यत: तीन भाग में बंटे होंगे, जिसमें प्रथम पुरस्कार पाने वाले को एक लाख रुपये मिलेंगे। ।

ये हैं आठ समस्याएं 

- हवाई अड्डे के मैप की डाटाबेस आधारित रेटिंग का कार्य, जिससे यात्रियों को बेहतर अनुभव मिले।

- एक वेब बेस्ड साफ्टवेयर, जिसके माध्यम से कम्युनिकेशन, नेविगेशन व सॢवलांस और एयर ट्रैफिक मैनेजमेंट तैयार करना, जिसके रखरखाव की अवधि दिवस, साप्ताहिक, छमाही और वाॢषक हो।

- क्यूआर कोड एप्लीकेशन के माध्यम से मोबाइल आधारित इन्वेंंट्री सिस्टम का निर्माण।

 - इंटरनेट ऑफ थिंग्स की मदद से हवाई अड्डे की सुविधाओं और उपयोगिताओं के आंकड़ों का डैशबोर्ड पर विजुअल प्रदर्शन।

- इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उपयोग कर मोबाइल आधारित डुअल टाइम मैनेजमेंट सिस्टम बनाना है।

 - ब्लॉक चेन तकनीक के माध्यम से नॉलेज मैनेजमेंट सिस्टम तैयार करना।

- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लॄनग का उपयोग करके मोबाइल एप्लीकेशन आधारित सिस्टम।

इस तरह हो रहा ऑनलाइन मंथन

टीम एके-11 समूह की जिम्मेदारी देख रहे बीएचयू के दिव्यांश ओझा ने बताया कि वह पांच टीमों फियरलेस फाइटर्स, पोर्टल पाइरेट्स, सन सत्तावन, टेक हैकर्स एवं टेक्नो वाइकिंग्स के लोगों की बैठक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. सुधाकर सिंह, पीएसआइटी, कानपुर की डा. प्रदीप का वर्मा, बीएचयू के कंप्यूटर साइंस की डा. वंदना, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के डीजीएम देवेंद्र यादव के साथ करवाते हैं। इसी तरह प्रत्येक टीम के साथ ये मीटिंग करीब बीस से पच्चीस मिनट चलती है। दिन 11 बजे से शुरू होकर बैठकों का दौर दोपहर 1 बजे तक चलता है। दूसरी मीटिंग शाम पांच से सात बजे तक चलती है। इस मीटिंग में टीम की प्रगति का अवलोकन निर्णायक मंडल करता है।

सेतु बने वालंटियर 

उन्नाव की रितिका बीएचयू के विज्ञान संस्थान में एमसीए प्रथम वर्ष की छात्रा हैं। रितिका की टीम ने इस वर्ष हैकाथॉन के प्रारंभिक चरणों में भाग लिया था। उन्होंने आइवीपी ड्रिप बॉटल्स के ऑटोमेशन से जुड़ा प्रोजेक्ट बनाया था। हालांकि उनका प्रोजेक्ट हैकाथॉन के अंतिम चरण तक नहीं पहुंच पाया, लेकिन बतौर वालंटियर ग्रैंड फिनाले में जुडऩे का अवसर पाकर ही खुश हैं। विधि संकाय में कॉर्पोरेट गवर्नेंस में पीजी डिप्लोमा की छात्रा शिवांगी पांडेय बताती हैं कि हम वालंटियर्स का काम बहुत जिम्मेदारी भरा है। हम प्रतिभागी, संरक्षक व निर्णायकों के बीच पुल का काम करते हैं।

क्यूआर कोड से उपकरण होगा आवंटित, रजिस्टर में नहीं करनी पड़ेगी इंट्री

स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन-2020 के सरकारी एवं निजी कुल 70 संस्थाओं ने 234 समस्याओं को चुनौती के रूप में विद्याॢथयों के समक्ष रखा है। बीएचयू नोडल केंद्र पर भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा दी गई, ऐसी ही आठ चुनौतियों के समाधान तलाशने की कोशिश में 39 टीमें लगी हुईं हैं। सभी टीमें विमानपत्तन प्राधिकरण के लिए वेबसाइट और एप्लिकेशन बनाने के अपने अंतिम दौर में हैं। एके -9 समूह के प्रांजल तिवारी और वॢतका चौधरी ने बताया कि उनकी टीम ब्लॉक चेन की मदद से लापता विमानों का पता लगाने के लिए एक सॉफ्टवेयर को डेवलप करने में जुटी है। एके-12 टीम द्वारा क्यूआर कोड आधारित मोबाइल एप्लीकेशन बनाया जा रहा है। इससे प्राधिकरण के कर्मचारी को किसी उपकरण की जरुरत होगी तो वह बस उसका क्यूआर कोड स्कैन कर उसे अपने नाम से आवंटित करा सकता है। इससे किसी सामान को रजिस्टर में इंट्री नोट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वहीं टीम एके-11 मशीन लॄनग के मल्टी-डायमेंशनल रिग्रेशन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसे क्लाउड आधारित सॉफ्टवेयर का निर्माण कर रही है, जो तकनीकी अक्षमताओं को पहले ही सूचित कर दे। एके-10 समूह हवाई अड्डे का मानचित्रण, डेटाबेस रेटिंग तो वहीं एके-11 समूह नेविगेशन पर सॉफ्टवेयर टूल बना रही है।  


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