पर्यावरण संरक्षण : बलिया जिले के वकील जो मुवक्किलों से मिलने को देते बाग का पता
कोरोना के चलते पिछले वर्ष जब संपूर्ण लाकडाउन हुआ तो सारी गतिविधियां ठप पड़ गईं थीं। लोग घरों में बैठे-बैठे उब रहे थे। ऐसे में नगरा निवासी युवा अधिवक्ता शफीक अहमद के मन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति कुछ करने की बात सूझी।
बलिया [कृष्ण मुरारी पांडेय]। कोरोना के चलते पिछले वर्ष जब संपूर्ण लाकडाउन हुआ तो सारी गतिविधियां ठप पड़ गईं थीं। लोग घरों में बैठे-बैठे उब रहे थे। ऐसे में नगरा निवासी युवा अधिवक्ता शफीक अहमद के मन में पर्यावरण संरक्षण के प्रति कुछ करने की बात सूझी। उनके ढाई बीघे क्षेत्रफल के बाग में केवल आठ-दस पुराने आम के पेड़ बचे थे। उन्होंने नर्सरियों से विभिन्न प्रजाति के पौधे मंगाए। दो-चार मजदूरों के साथ स्वयं भी फावड़ा उठाया व पौधों को रोपित करना शुरू कर दिया। लाकडाउन में उन्होंने दो सौ से अधिक पौधे रोप दिए। निराई-गोड़ाई भी स्वयं करते हैं। पौधे अब कुछ बड़े हो चुके हैं। उन्होंने मुवक्किलों को मिलने के लिए बाग का ही पता दे रखा है। उन्हें वे पौधारोपण के लिए प्रेरित करते हैं।
इन फल व फूलों के रोपे हैं पौधे : अधिवक्ता ने विभिन्न प्रजाति के 50 आम, 40 अमरूद, 10 आंवला, 5 जामुन, 20 लीची, 15 सीताफल, 15 जामुन, 20 कटहल, 15 बड़हल व गुड़हल, चमेली, रात रानी, बेला आदि फूलों के पौधे लगाए हैं। इसके अलावा उन्होंने दूसरे प्रदेशों से मंगाकर कई तरह के बांस के पौधे भी लगाए हैं।