साहित्यिक कृतियो मे रचनात्मक क्रिया का विषेश महत्व
जागरण संवाददाता, वाराणसी : प्रख्यात उर्दू लेखक व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. शहाबुद्दीन
जागरण संवाददाता, वाराणसी : प्रख्यात उर्दू लेखक व अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रो. शहाबुद्दीन साकिब ने बीएचयू के उर्दू विभाग मे मंगलवार को कहा कि साहित्यिक कृतियो मे रचनात्मक क्रिया का एक विशेष महत्व होता है। रचनात्मकता की सीमा शायरी और उपन्यासो तक ही महदूद नही बल्कि गैर अफसानवी नस्र को भी रचनात्मकता के माध्यम से मोहक और प्रभावी बनाया जा सकता है। गैर अफसानवी नस्त्र (गद्य) को सरवत मन्द बनाने और दूसरे उलूम से इसका संबंध प्रगाढ़ करने मे सहायक होती है। ऐसे मे गैर अफसानवी नस्त्र किसी भी ऐतबार से तखलीकी नस्त्र से कमतर नही।
प्रो. साकिब बीएचयू के उर्दू विभाग एवं दस्तक अदबी फोरम की ओर से आयोजित व्याख्यान मे बोल रहे थे। 'गैर अफसानवी नस्त्र: अहमियत और अफादियत' विषय पर यह कार्यक्रम कला सकाय के प्रेक्षागृह मे आयोजित हुआ। आरंभ मे विभाग के प्राध्यापक डा. मोशर्रफ अली ने दस्तक अदबी फोरम की कार्यप्रणाली और उसके उद्देश्यो से अवगत कराया। स्वागत विभागाध्यक्ष डा. आफताब अहमद आफाकी ने किया। कार्यक्रम का परिचय देते हुए उन्होने कहा कि विभाग ने अपने पूर्वजो के कारनामो से परिचित कराने का जो बीड़ा उठाया है उसके लिए इस प्रकार के कार्यक्रम का होना बेहद जरूरी है। ये व्याख्यान इसी सिलसिले की एक कड़ी है। संचालन डा. कासिम अंसारी एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. एहसान हसन ने किया।