बिल के लिए अस्पताल ने वृद्ध के शव को बनाया बंधक, डीएम जौनपुर के निवेदन का भी असर नहीं
अस्पताल प्रशासन ने मनमाफिक फीस नहीं मिलने से वृद्ध के शव को 20 घंटे से अधिक समय तक अपने कब्जे में रखा।
जौनपुर, जेएनएन। वाराणसी में शिवपुर बाईपास स्थित एक निजी अस्पताल पर शुक्रवार को मानवता शर्मशार हो गई। अस्पताल प्रशासन ने मनमाफिक फीस नहीं मिलने से वृद्ध के शव को 20 घंटे से अधिक समय तक अपने कब्जे में रखा। परिजनों द्वारा मामला जिलाधिकारी तक पहुंचाया गया तो उन्होंने अस्पताल में फोन करके परिजनों द्वारा जो भी फीस दिया जा रहा है इसे लेकर शव वापस करने की हिदायत दी। परिजनों द्वारा सौ नम्बर पुलिस को भी इस दौरान बुलाया गया है। वहीं अस्पताल प्रशासन और परिजनों में काफी देर तक वार्ता चलती रही। वहीं सूचना मिलने के बाद खंड विकास अधिकारी छोटेलाल तिवारी ने गांव में पहुंचकर लोगो से पंद्रह हजार रुपया एकत्रित करके परिजनों को दिलाया।
बांकी गांव निवासी बड़ेलाल सिंह (70) को मंगलवार की रात सांड़ ने हमला कर घायल कर दिया था। उनका इलाज वाराणसी शहर में शिवपुर बाईपास के पास एक निजी अस्पताल में शुरू हुआ था कि इलाज के दौरान ही गुरुवार की रात में मौत हो गई। 48 घण्टे के इलाज में अस्पताल प्रशासन ने लगभग एक लाख पांच हजार का बिल बना दिया। मृत बड़ेलाल के दो बेटे शिवकुमार और देवानन्द पूना में वाचमैन का काम करके किसी तरह से परिवार की आजीविका चला रहे थे। सूचना मिलने पर बड़ा बेटा शिवकुमार गुरुवार की रात ही घर पहुंचा।
परिजनों की स्थिति इतना अधिक पैसा जमा करने की नही है। पिता के शव को अस्पताल से निकलवाने के लिए लोगों सहायता भी मांगी।
मंगलवार की रात में बड़ेलाल लघुशंका को घर से बाहर निकले थे तभी एक सांड ने उनपर जानलेवा हमला कर दिया। सांड के हमले से उनका पेट बुरी तरह फट गया। जिससे उसकी अंतें बाहर आ गईं। गम्भीर हालत में गांव के लोग इलाज हेतु रात में ही जिला अस्पताल ले गए जहां हालत गम्भीर होने पर चिकित्सकों ने बेहतर इलाज हेतु उन्हें वाराणसी रेफर कर दिया। जान खतरे में देख गांव के लोग आनन- फानन में वाराणसी के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। उनके साथ अस्पताल में उनकी बेटी अंजू अौर बहू संगीता साथ मे थी। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण इलाज कराने में भी बहू को समस्या हो रही थी। शुक्रवार की सुबह खण्ड विकास अधिकारी व ब्लाक के पशु चिकित्सा अधिकारी भी गांव जाकर लोगों से बात की।
शव लेेने के लिए बहू व बेटी गिड़गिड़ाते रहे
लगभग 48 घण्टे तक चले इलाज के बाद अस्पताल में मौत के बाद शव लेने के लिए बेटी अंजू और बहू संगीता के साथ भाई छोटेलाल पुुरी रात अस्पताल प्रशासन से गिड़गिड़ाते रहे लेकिन कोई फर्क अस्पताल प्रशासन पर नहीं पड़ा। पूरे घटना से स्वास्थ्य सिस्टम पर सवाल उठा। परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर अस्पताल में फीस का डिस्प्ले रहता तो इतनी परेशानी नहीं होती। शव देने के एवज में अस्पताल प्रशासन एक लाख रुपये की मांग कर रहा था जो परिजनों के पास नहीं था। परिजनों ने बताया कि भर्ती करने के बाद से 15 हजार रुपये जमा कराया गया। उक्त अस्पताल के प्रबंधक योगेश सिंह से बातचीत हुई तो उन्होंने बताया कि इलाज के दौरान आपरेशन व दवाओं में कुल एक लाख पांच हजार रुपये का बिल आया है। जिसे परिजन जमा नही कर रहे है। बताया कि डीएम जौनपुर दिनेश कुमार और मुख्य विकास अधिकारी सहित कई लोगों का फोन आया है, कोई पैसा लेकर नहीं आ रहा है।